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देवभूमि के इस जांबाज ने कारगिल में दिखाया था अदम्य साहस, जज्बे और जुनून से लड़ी थी जंग - martyrs ramprasad dhyani

ध्यानी 1990 में 13 सिक्ख रेजीमेंट लेंसडाउन (गढ़वाल) में भर्ती हुए थे. जिसके 4 साल बाद ही उनका विवाह करीब के ही गांव की जयंती देवी से हुआ. 1998 में उनका परिवार रामनगर क्षेत्र के हाथी डंगर गांव में आकर बस गया. शादी के कुछ समय के बाद ही उनका ट्रांसफर 17 गढ़वाल राइफल्स में कर दिया गया.

कारगिल में शहीद राम प्रसाद ध्यानी ने दिखाया था अदम्य साहस.

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Published : Jul 26, 2019, 5:17 PM IST

Updated : Jul 26, 2019, 6:09 PM IST

रामनगर:कारगिल विजय दिवस पर पूरा देश शहीद जवानों को याद कर रहा है. बात अगर देवभूमि उत्तराखंड की करें तो यहां का पानी और जवानी हमेशा ही देश के काम आती रही है. ऐसे ही उत्तराखंड के एक वीर सपूत थे राम प्रसाद ध्यानी. जो कारगिल युद्ध में दुश्मन से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए. देश की हिफाजत के लिए जान की आहुति देने वाले राम प्रसाद ध्यानी की शहादत पर उनका परिवार और रामनगरवासी गर्व महसूस करते हैं.

कारगिल में शहीद राम प्रसाद ध्यानी ने दिखाया था अदम्य साहस.
शहीद राम प्रसाद ध्यानी का जन्म पौड़ी जिले की धुमाकोट तहसील के तौलूडांडा गांव में हुआ था. उनकी प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा तौलूडांडा के दमदेवल इंटर कॉलेज से हुई. शहीद रामप्रसाद ध्यानी चार भाई-बहनों में सबसे बड़े थे. वे स्वभाव से बड़े हसमुख और मिलन सार थे. शहीद रामप्रसाद ध्यानी को बचपन से ही गाने का बड़ा शौक था. इसके साथ ही वे पढ़ाई में अव्वल थे. उनका परिवार खेती करता था. किसान परिवार में जन्में ध्यानी के मन में शुरू से ही देश सेवा का जज्बा था.

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ध्यानी 1990 में 13 सिक्ख रेजीमेंट लेंसडाउन (गढ़वाल) में भर्ती हुए थे. जिसके 4 साल बाद ही उनका विवाह करीब के ही गांव की जयंती देवी से हुआ. 1998 में उनका परिवार रामनगर क्षेत्र के हाथी डंगर गांव में आकर बस गया. शादी के कुछ समय के बाद ही उनका ट्रांसफर 17 गढ़वाल राइफल्स में कर दिया गया.

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1999 में कारगिल युद्ध शुरू होते ही 17 गढ़वाल राइफल्स की टुकड़ी को युद्ध में भेज दिया गया. जिसमें राम प्रसाद भी शामिल थे. देश के लिए कुछ करने का इरादा लिये ध्यानी को न जाने कब से इस पल का इंतजार था. कारगिल में अपने अदम्य साहस का परिचय देते हुए ध्यानी वीरगति को प्राप्त हुए. जब राम प्रसाद ध्यानी शहीद हुए तो उस समय उनकी बेटी की उम्र महज 4 साल थी. राम प्रसाद की शहादत की खबर से जहां देवभूमि गौरवान्नवित महसूस कर रही थी, तो वहीं उनका परिवार सदमे में था.

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शहीद राम प्रसाद ध्यानी के परिजन आज भी उन्हें याद करते हुए भावुक हो उठते हैं. शहीद के बेटे अंकित का कहना है कि उसने तो अपने पिता को सही से देखा तक नहीं. वो कहते हैं कि उन्होंने भले ही पिता की सूरत न देखी हो लेकिन पिता की वीरता के किस्सों सुन वो गर्व महसूस करते हैं.

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भारत सरकार ने वीर सपूत शहीद राम प्रसाद ध्यानी को भारत माता की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति दने के लिए इनाम-इकराम से नवाजा. साथ ही उनके परिवार को एक पेट्रोल पंप व अन्य सुविधाएं दी गईं. उनकी जीविका व शिक्षा का पूरा प्रबंध किया गया.

Last Updated : Jul 26, 2019, 6:09 PM IST

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