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आईएमपीसीएलः सीएम के पत्र पर उठे सवाल, समिति ने दिया ये तर्क

आईएमपीसीएल को भारत सरकार द्वारा निजी हाथों में दिए जाने से रोकने के लिए सीएम त्रिवेंद्र ने केंद्रीय आयुष मंत्री को पत्र लिखा है. जिसको लेकर ठेका मजदूर कल्याण समिति का कहना है कि अगर ये पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखा होता तो आईएमपीसीएल के लिए अच्छा होता.

ठेका मजदूर कल्याण समिति ने सीएम के पत्र को बताया देरी से किया गया कार्य.

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Published : Sep 21, 2019, 6:35 PM IST

रामनगर:अल्मोड़ा जिले के मोहान स्थित इंडियन मेडिकल फार्मास्यूटिकल्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड(आईएमपीसीएल) में विनिवेश को रोकने के लिए सीएम त्रिवेंद्र ने केंद्रीय आयुष मंत्री को पत्र लिखा था. जिसको लेकर ठेका मजदूर कल्याण समिति का कहना है कि सरकार ने कार्रवाई करने में देरी की है. साथ ही कहा कि यह पत्र अगर प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखा जाता तो आईएमपीसीएल के हक में कुछ अच्छा होता.

ठेका मजदूर कल्याण समिति ने सीएम के पत्र को बताया देरी से किया गया कार्य.

गौरतलब है कि ठेका मजदूर कल्याण समिति बीते दो सालों से आईएमपीसीएल का निजीकरण न किए जाने को लेकर स्थानीय स्तर से लेकर आयुष मंत्रालय तक लड़ाई लड़ रही है. लेकिन सरकार ने विनिवेश की प्रक्रिया को नहीं रोका. इतना ही नहीं समिति इसके लिए राज्य के पांचों भाजपा सांसदों सहित राज्यसभा सांसद और प्रदेश सरकार से भी हस्तक्षेप की गुहार लगा चुकी है. बावजूद समिति को हर जगह से निराशा ही मिली है.

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समिति का कहना है कि निरंतर लाभ देने वाली कंपनी को निजी हाथों में बेचना ठीक नहीं है. क्योंकि 5 हजार लोग अपनी आजीविका के लिए इस कंपनी पर निर्भर हैं. जबकि निगम की विनिवेश प्रक्रिया में शेयर परचेज एग्रीमेंट में कर्मचारियों के लिए मात्र एक साल की सर्विस का प्रावधान किया गया है. उसके बाद छटनी की छूट खरीदार को दे दी गई है. जो कि सर्विस नियमावली एवं मानव अधिकारों का उल्लंघन है.

बता दें कि केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के विनिवेश के मध्य से वर्तमान वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 1.05 लाख करोड़ रुपए का लक्ष्य निर्धारित किया है. इस लक्ष्य में आईएमपीसीएल भी शामिल है. साथ ही पिछले दिनों कंपनी को खरीदने के लिए डाबर की टीम आईएमपीसीएल का मुआयना भी कर चुकी है.

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