बेरीनाग: कहते हैं न अगर मन में कुछ करने का जज्बा हो तो मुश्किलें भी आपका रास्ता नहीं रोक सकती हैं, देर सबेर मेहनत रंग लाती ही है. ऐसी ही एक कहानी हल्द्वानी की रहने वाली ममता टाकुली की भी है. जिसने पहाड़ जैसी कठिनाइयों से लड़कर आज अपना मुकाम हासिल किया है. सफलता की सीढ़ियां चढ़ने के बाद ममता पहाड़ की महिलाओं के लिए आगे बढ़ने के मार्ग खोल रही हैं. जिससे वो आज कई महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं.
चौकोड़ी की वादियों में शुरू किया काम
हल्द्वानी की रहने वाली ममता टाकुली ने देहरादून के आयुर्वेदिक कॉलेज से योगा का डिप्लोमा करने के साथ ही सीएस से पॉलिटेक्निक भी किया. जिसके बाद शुरुआती दिनों में उसे कई कठनाइयों का सामना करना पड़ा. मगर ममता ने इससे कभी हार नहीं मानी. कठिनाइयों से संघर्ष करते हुए ममता ने एक नई जिन्दगी की शुरुआत की. चार साल पहले ममता ने चौकोड़ी के हिमालया इंटर कॉलेज में योगा शिक्षक का पद संभाला. यहां उन्होंने स्कूली बच्चों को योग के गुर सिखाने के साथ-साथ स्वास्थ्य के प्रति जागरुक भी किया.
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महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर
कुछ समय यहां काम करने के बाद ममता ने चैाकोड़ी को ही अपने कार्य क्षेत्र के साथ घर भी बना दिया. ममता ने यहां हिमालया नारी संस्थान में एक प्रबंधक के रूप में काम करते हुए महिलाओं का एक समूह बनाया. जिससे ममता ने 60 से अधिक महिलाओं को कताई-बुनाई का प्रशिक्षण देने के साथ ही आर्थिक रूप से मजबूत करने का प्रयास किया. जिसमें वह सफल रही यहां काम करने वाली महिलायें आज अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं.
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