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HC ने जिला पंचायत अध्यक्ष की विशेष अपील खारिज की, भ्रष्टाचार की जांच को रोकने की थी मांग - Special appeal of Uttarkashi District Panchayat dismissed

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तरकाशी जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं की जांच को रोकने के लिए दायर विशेष अपील निरस्त कर दी है. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई.

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नैनीताल

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Published : Sep 30, 2021, 4:14 PM IST

नैनीतालः उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उत्तरकाशी जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण द्वारा वित्तीय अनियमितताओं की जांच पर रोक को लेकर दायर विशेष अपील पर सुनवाई की. मामले को सुनने के बाद खंडपीठ ने सरकार के आदेश को सही मानते हुए विशेष अपील को निरस्त कर दिया.

सरकार की तरफ से कहा गया कि इनके खिलाफ कमिश्नर व डीएम ने जांच कर इन्हें 15 दिन का कारण बताओ नोटिस जारी किया है. जिसका जवाब इन्होंने नहीं दिया. इस नोटिस को भी इन्होंने विशेष अपील में चुनौती दी. मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में हुई.

पूर्व में एकलपीठ ने उनकी याचिका को इस आधार पर निरस्त कर दिया था कि अभी याचिका पोषणीय नहीं है और मामले में जांच चल रही है. जिसे अध्यक्ष द्वारा खंडपीठ में स्पेशल अपील दायर कर चुनौती दी गई.

मामले के मुताबिक अध्यक्ष द्वारा पूर्व में याचिका दायर कर कहा गया था कि कुछ सदस्यों द्वारा उनके खिलाफ मुख्यमंत्री को एक पत्र भेजकर शिकायत की गई थी कि उनके द्वारा सरकारी धन का दुरुप्रयोग व करोड़ों रुपये की अनियमितता की गई है. जिस पर मुख्यमंत्री द्वारा इस प्रकरण की जांच हेतु सचिव पंचायती राज को आदेश दिया गया था.

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इस जांच पर रोक को लेकर अध्यक्ष ने माननीय उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. अपनी याचिका में उन्होंने कहा था कि यह शिकायत उनके खिलाफ राजनीतिक दुर्भावना से की गई है. उन्होंने किसी भी तरह की वित्तीय अनियमितता नहीं की है. इसलिए जांच पर रोक लगाई जाए.

याचिकाकार्ता अध्यक्ष द्वारा यह भी कहा गया था कि मुख्यमंत्री ने एक शिकायती पत्र पर जांच के आदेश दे दिए जबकि विभाग द्वारा ऐसा कुछ नहीं किया. जांच एजेंसी द्वारा किसी भी तरह की नियमावली का पालन नहीं किया गया. वहीं, शिकायतकर्ता का कहना है कि इन्होंने सरकारी धन का दुरुप्रयोग किया है. इन्होंने निर्माण कार्य में घटिया सामग्री का उपयोग किया है. करोड़ों रुपये फर्जी निर्माण कार्य दिखाया गया है और मजदूरों के फर्जी मस्टररोल भरे गए हैं.

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