नैनीताल:नासा का मंगल मिशन मार्स इंसाइट लैंडर लाल ग्रह पर पानी का पता लगाएगा. यूएसए के नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) में बतौर वैज्ञानिक के रूप में तैनात नैनीताल निवासी डॉ. रक्षित जोशी ने बताया कि नासा इंसाइट लैंडर को पहली बार मंगल की भीतरी संरचना की बेहद अहम जानकारी मिली है.
नासा में वैज्ञानिक हैं डॉक्टर रक्षित जोशी: नासा में वैज्ञानिक डॉ. रक्षित जोशी इन दिनों दीवाली मनाने के लिए नैनीताल पहुंचे हैं. डॉ. रक्षित जोशी ने बताया कि भारत तेजी से अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है. 10 से 15 सालों में देश स्पेस साइंस में साधन संपन्न हो जाएगा और मंगल की सतह पर मिशन भेजने लगेगा. देश में मैन पावर के साथ प्रतिभा अन्य देशों की तुलना में कहीं अधिक होने के कारण अंतरिक्ष के क्षेत्र में बहुत जल्द महत्वपूर्ण कामयाबी हासिल करेगा.
भारत के साथ उत्तराखंड में एस्ट्रो टूरिज्म की संभावनाएं: डॉक्टर रक्षित जोशी ने कहा कि पिछले एक दशक के अंतराल में एस्ट्रोसैट, मार्स आर्बिटर व चंद्रयान मिशन के साथ अंतरिक्ष में भेजे जा रहे सेटेलाइट इसके उदाहरण हैं. जिसके चलते युवा इस क्षेत्र में बेहतर कॅरियर बना सकते हैं. डा. रक्षित का मानना है कि देश में एस्ट्रो टूरिज्म की भी संभावनाएं हैं. जिसमें उत्तराखंड अहम स्थान रखता है. इसके जरिये बच्चों की रुचि अंतरिक्ष के प्रति जागृत की जा सकती है.
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नासा को मंगल पर मिले पानी के सुबूत: डॉक्टर रक्षित ने कहा कि मंगल पर पूर्व में पानी होने के कई सुबूत मिले हैं. वह पानी आखिर कहां गायब हो गया, इसका पता लगाने में इंसाइट मिशन अहम भूमिका निभा सकता है. मंगल के भीतर क्रस्ट में पानी हो सकता है. लाल ग्रह की अंदरूनी संरचना का मंगल ग्रह में आने वाले भूकंपों से पता चला है, जिन्हें मार्स क्वेक कहा जाता है.
मंगल ग्रह पर भी आते हैं भूकंप: डॉक्टर रक्षित ने बताया कि पिछले माह चार बड़े भूकंप मंगल पर आए हैं. इन भूकंपों का अध्ययन किया जा रहा है. मंगल के ज्वालामुखियों का पता लगाना भी खगोल विज्ञानियों के लिए बड़ी चुनौती है. उन्होंने कहा संभवत: पृथ्वी की तरह मंगल पर भी ज्वालामुखी फटते रहे होंगे. जिनके निशान मंगल की सतह पर मिलते हैं.
मंगल सिंगल प्लेट प्लैनेट है:नासा में बतौर वैज्ञानिक कार्यरत डॉक्टर रक्षित जोशी ने कहा कि पहली बार पता चला है कि मंगल सिंगल प्लेट प्लैनेट है. किसी भी ग्रह की भीतरी संरचना की यह पहली खोज है. इंसाइट लैंडर ने इसका पता लगाया है. इसकी तुलना में पृथ्वी पर कई प्लेटें हैं, जिनके कारण पृथ्वी पर अक्सर भूकंप आते रहते हैं.
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मंगल के क्रस्ट की गहराई 20 से 40 किमी: पृथ्वी की तरह मंगल पर भी भूकंप आते रहते हैं. इन्हीं भूकंपों के जरिये मंगल की अंदरूनी जानकारी मिल पाई है. मंगल की आंतरिक संरचना को तीन हिस्सों में बांटा गया है. इसमें उसके अंदर क्रस्ट हैं. जिनकी गहराई 20 से 40 किमी के बीच है. इसके अलावा इनके भीतर मेंटल व कोर हैं. इन्हें भी अलग-अलग भागों में विभाजित किया जा रहा है.