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प्रवासियों का जबरन पेड क्वारंटाइन करने का आरोप, HC ने सरकार से मांगा जवाब

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Published : Jun 3, 2020, 7:41 PM IST

उत्तराखंड लौट रहे प्रवासियों के जबरन पेड क्वारंटाइन के आरोप का मामला नैनीताल हाईकोर्ट पहुंच गया है. हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है. राज्य सरकार को एक सप्ताह के अंदर जवाब देना है.

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प्रवासियों को पेड क्वारंटाइन करने पर नैनीताल हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब.

नैनीताल: हवाई मार्ग से उत्तराखंड वापस लौट रहे प्रवासियों ने उनके साथ भेदभाव का आरोप लगाया था. ये मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया है. नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रमेश रंगनाथन की खंडपीठ ने राज्य सरकार को एक सप्ताह के अंदर अपना विस्तृत जवाब शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं.

प्रवासियों को पेड क्वारंटाइन करने पर नैनीताल हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब.

बता दें कि देहरादून निवासी पत्रकार उमेश शर्मा ने नैनीताल हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. उन्होंने कहा है कि उत्तराखंड के दोनों हवाई अड्डों देहरादून और पंतनगर में यात्रियों को राज्य सरकार के द्वारा जबरदस्ती पेड क्वारंटाइन सेंटरों में भेजा जा रहा है. जिन होटलों को राज्य सरकार की ओर से क्वारंटाइन सेंटर के रूप में चिन्हित किया गया है उनमें यात्रियों से आने-जाने और खाने का पैसा भी जबरन लिया जा रहा है. याचिकाकर्ता का कहना है कि सरकार का हवाई मार्ग से आ रहे यात्रियों के साथ भेदभाव करना पुराना रवैया है. वहीं जो यात्री रेल और सड़क मार्ग से आ रहे हैं उनको निशुल्क क्वारंटाइन किया जा रहा है. याचिकाकर्ता का कहना है कि लोग लॉकडाउन के चलते उत्तराखंड से बाहर फंसे हुए हैं और हवाई मार्ग से अपने घर वापस लौटने को मजबूर हैं. सरकार द्वारा वापस लौट रहे लोगों का उत्पीड़न किया जा रहा है.

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राज्य सरकार की तरफ से बताया गया कि हवाई मार्ग से आ रहे लोगों से रुपए लेने की व्यवस्था केवल वैकल्पिक है. जो यात्री होटल में रहना चाहते हैं उन्हीं से किराया लिया जा रहा है. इसका याचिकाकर्ता ने विरोध किया है. साथ ही बताया कि हवाई अड्डों पर आने वाले सभी यात्रियों को जबरन बसों में बैठाकर सरकार की ओर से चिन्हित होटलों में भेजा जा रहा है. किराया अदा ना करने पर अधिकारियों द्वारा मुकदमा दर्ज कर कानूनी कार्रवाई करने की धमकी दी जा रही है. इस मामले को गंभीरता से लेते हुए नैनीताल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने राज्य सरकार को 1 सप्ताह के भीतर रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं.

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