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विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल नैनीताल के अस्तित्व पर खतरा, भूस्खलन ले लेगा शहर की जान !

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Published : Jul 28, 2022, 8:25 AM IST

Updated : Jul 29, 2022, 8:13 AM IST

181 साल पुराने विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल नैनीताल का अस्तित्व खतरे में है. मनमाने और अवैध निर्माण ने इस खूबसूरत पहाड़ी पर्यटन स्थल की सूरत पहले ही बिगाड़ दी थी. अब भूस्खलन इसकी जान लेने पर उतारू है.

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नैनीताल समाचार

नैनीताल: पर्यटन के लिए विश्वविख्यात सरोवर नगरी नैनीताल के सामने खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. बारिश शुरू होते ही नैनीताल में लगातार भूस्खलन होने लग रहा है. जिससे नैनीताल के अस्तित्व पर प्रश्न उठने शुरू हो चुके हैं. शहर के अंदर और शहर की बुनियाद में लगातार तेजी से भूस्खलन हो रहा है. इससे प्रशासन समेत राज्य सरकार के सामने नैनीताल को बचाने के लिए चिंताएं बढ़ने लगी हैं.

भूस्खलन से नैनीताल को खतरा: सरोवर नगरी नैनीताल के सामने एक बार फिर उसके अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है. नैनीताल की बुनियाद माने जाने वाले बलियानाला क्षेत्र में बरसात शुरू होते ही भूस्खलन होने लगा है. जिससे प्रशासन समेत राज्य सरकार की चिंता बढ़ने लगी है. इसके अलावा नैनीताल की ठंडी सड़क, स्टोन ले, चाइना पीक, सात नंबर की पहाड़ियों पर भूस्खलन हो रहा है. ये आने वाले समय में नैनीताल के लिए एक बड़ा खतरा है. आपको बताते चलें कि नैनीताल की बुनियाद कहे जाने वाले बलियानाला क्षेत्र में बीते 50 सालों से लगातार भूस्खलन हो रहा है. इसमें अब तक क्षेत्र का 100 मीटर से अधिक क्षेत्र भूस्खलन की चपेट में आ गया है.

नैनीताल को लैंडस्लाइड से खतरा

1880 में भी हुआ था भूस्खलन: आपको बताते चलें कि नैनीताल में भूस्खलन की कहानी 142 साल पुरानी है. 1880 में हुए भूस्खलन में 151 भारतीय और ब्रिटिश लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी. ब्रिटिश शासकों ने इस विनाशकारी भूस्खलन के बाद इस शहर को दोबारा सहेजने की कवायद की थी. यहां की कमजोर पहाड़ियों के भूस्खलन को रोकने के लिये 64 छोटे-बड़े नालों का निर्माण कराया था.

नाले रहे हैं नैनीताल के सुरक्षा कवच: इन नालों की लम्बाई एक लाख 6 हजार 4 सौ 99 फीट है. इन्हीं नालों की वजह से शहर आज भी कायम है. नैनीताल के आसपास करीब 64 नाले हैं जो बरसात के दौरान पहाड़ों के पानी को नैनीझील में लाने का काम करते हैं. नैनीताल में तेजी से हो रहे भूस्खलन का कारण पर्यावरणविद इतिहासकार अजय रावत अवैध निर्माण और पेड़ों के तेजी से हो रहे कटान को बताते हैं. अजय रावत का कहना है कि आज शहर में भूस्खलन की स्थिति इसी कारण से हुई है. उनका कहना है कि आने वाले समय में नैनीताल के सामने उसके अस्तित्व को बचाने की बड़ा सवाल है. अगर शहर में इसी तरह से अवैध निर्माण बढ़ते रहे तो शहर का अस्तित्व जल्द ही समाप्त हो जाएगा.

शहर के अंदर भी शुरू हुआ भूस्खलन: वरिष्ठ पत्रकार गिरीश रंजन तिवारी का कहना है कि बलियानाला में हो रहा भूस्खलन लगातार आगे बढ़ता जा रहा है. इस कारण नैनीताल के अस्तित्व पर खतरा पैदा हो गया है. गिरीश रंजन तिवारी का कहना है कि ये भूस्खलन अब इतना बढ़ गया है कि इस बार नैनीताल नगर के अंदर भी दो जगह भूस्खलन होने लगा है. डीएसबी पहाड़ी और स्नो व्यू की पहाड़ी की तरफ शुरू हुए भूस्खलन ने नैनीताल के अस्तित्व को खतरा पैदा कर दिया है. उन्होंने कहा कि इसका स्थाई समाधान नहीं ढूंढा गया, जिस कारण हालात और बिगड़ते जा रहे हैं.
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होटल कारोबारी भी चिंतित: होटल कारोबारी प्रवीण शाह ने कहा कि जिस रफ्तार से नैनीताल में निर्माण और अवैध निर्माण हो रहे हैं, उससे इस शहर को खत्म होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. शाह ने कहा कि जिस तरह से सात नंबर, डीएसबी और सेर का डांडा में भूस्खलन हो रहा है उससे नैनीताल और इसके पर्यटन को बड़ा नुकसान पहुंचना तय है.

देश के कुछ प्रमुख स्थानों से नैनीताल की दूरी
दिल्ली: 320 किमी
अल्मोड़ा: 68 किमी
हल्द्वानी: 38 किमी
जिम कॉर्बेट पार्क रामनगर: 68 किमी
बरेली: 190 किमी
लखनऊ 445 किमी
हरिद्वार: 234 किमी
मेरठ: 275 किमी

नैनीताल के बारे में जानिए:नैनीताल की खोज सन 1841 में एक अंग्रेज चीनी (शुगर) व्यापारी ने की. बाद में अंग्रेजों ने इसे अपनी आरामगाह और स्वास्थ्य लाभ लेने की जगह के रूप में विकसित कर लिया. नैनीताल तीन ओर से घने पेड़ों की छाया में ऊंचे-ऊंचे पर्वतों के बीच समुद्रतल से 1938 मीटर की ऊंचाई पर बसा है. यहां के ताल की लंबाई करीब 1358 मीटर और चौड़ाई करीब 458 मी‍टर है. ताल की गहराई 15 से 156 मीटर तक आंकी गई है. हालांकि इसकी सही-सही जानकारी अब तक किसी को नहीं है कि ताल कितना गहरा है. ताल का पानी बेहद साफ है और इसमें तीनों ओर के पहाड़ों और पेड़ों की परछाई साफ दिखती है. आसमान में छाए बादलों को भी ताल के पानी में साफ देखा जा सकता है. रात में नैनीताल के पहाड़ों पर बने मकानों की रोशनी ताल को भी ऐसे रोशन कर देती है, जैसे ताल के अंदर हजारों बल्ब जल रहे हों.
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नैनीताल का धार्मिक महत्व:स्कंद पुराण के मानस खंड में इसे 'त्रि-ऋषि-सरोवर' कहा गया है. ये तीन ऋषि अत्रि, पुलस्थ्य और पुलाहा ऋषि थे. इस इलाके में जब उन्हें कहीं पानी नहीं मिला तो उन्होंने यहां एक बड़ा सा गड्ढा किया और उसमें मनसरोवर का पवित्र जल भर दिया. उसी सरोवर को आज नैनीताल के रूप में जाना जाता है. इसके अलावा नैनीताल को 64 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है. माना जाता है कि जब भगवान शिव माता सती के शव को लेकर पूरे ब्रह्मांड में भटक रहे थे, तो यहां माता की आंखें (नैन) गिर गए थे. माता की आंखें यहां गिरी थीं, इसलिए इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा. माता को यहां नैना या नयना देवी के रूप में पूजा जाता है.

Last Updated : Jul 29, 2022, 8:13 AM IST

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