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मंगलवार विशेष: मुकदमा जिताने वाले हनुमान !, संजय दत्त और सलमान ने भी यहां लगाई थी अर्जी

हरिद्वार में हनुमान जी का एक ऐसा मंदिर है, जिसकी बॉलीवुड की हस्तियां भी मुरीद हैं. इस मंदिर का नाम मुकदमा जिताओ हनुमान मंदिर है, जो कनखल की तंग गलियों में स्थित हैं. अगर किसी पर झूठा मुकदमा लगाया गया है तो यहां अर्जी लगाने मात्र से वो मुकदमा जीत जाता है ऐसा कहा जाता है. इस मंदिर से मुगल शासक औरंगजेब जो अपनी क्रूरता के लिए कुख्यात था उसका संबंध भी है.

Haridwar Hanuman Mandir
हरिद्वार हनुमान मंदिर

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Published : May 31, 2022, 7:26 AM IST

हरिद्वार:हनुमान जी को संकट मोचन और न्याय प्रिय भगवान माना जाता है. यही कारण है कि देश के लगभग हर इलाके में हनुमान जी को पूजा जाता है. पौराणिक नगरी कनखल में वैसे तो हनुमान जी के कई मंदिर हैं लेकिन यहां एक ऐसा मंदिर भी है जिसकी अपनी एक विशेषता है. मान्यता है कि ये हनुमान मंदिर मुकदमा जिताऊ है. अगर किसी को फर्जी मुकदमे में फंसाया गया हो और उसका मुकदमा सालों में भी न निपटा हो, तो इस मंदिर में आकर भगवान हनुमान के चरणों में लिखित अरदास लगाने मात्र से उसके मुकदमे निपट जाते हैं.

बॉलीवुड के हीरो भी लगा चुके अर्जी: यही कारण है कि बॉलीवुड के कई अभिनेता न केवल यहां अरदास लगा चुके हैं, बल्कि इसके बाद उन्हें मुकदमों से छुटकारा भी मिला है. हनुमान जी का यह मंदिर मध्य सत्रहवीं शताब्दी में औरंगजेब से छुटकारा पाने के लिए हरिद्वार के एक प्रकांड पंडित ने स्थापित किया था, जिसके बाद एक निश्चित समय में औरंगजेब की मृत्यु हो गई थी और लोगों को उसके आतंक से छुटकारा मिला था.

औरंगजेब की मौत से भी जुड़ा रहस्य: 17वीं शताब्दी के सबसे क्रूर मुगल शासक रहे औरंगजेब की मौत कोई साधारण मौत नहीं थी. उसकी मौत के पीछे भी एक बड़ी कहानी है. आपको बता दें कि उसकी क्रूरता ही उसकी मौत की वजह बनी थी. वह भी एक उस वक्त के प्रकांड विद्वान ब्राह्मण और ज्योतिषाचार्य के जपतप ने ही क्रूर शासक को मौत की नींद सुला दिया था.

औरंगजेब ने ज्योतिष पर कर दिया था राजद्रोह का मुकदमा: बताया जाता है की हरिद्वार के इस ब्राह्मण के ऊपर राजद्रोह का मुकदमा कर दिया गया था. 17वीं शताब्दी में उन विद्वान ज्योतिष ने औरंगजेब की मौत के लिए बाकायदा गुप्त रूप से एक हनुमान मंदिर की स्थापना की और औरंगजेब की मृत्यु के लिए 40 दिन तक तांत्रिक अनुष्ठान करवाया. 40 वें दिन जैसे ही अनुष्ठान सम्पन्न हुआ, कहा जाता है कि वैसे ही औरंगजेब की मौत हो गई थी. यह मंदिर आज भी हरिद्वार के कनखल की तंग गलियों में मौजूद है और मुकदमा जिताओ हनुमान जी के मंदिर के नाम से देश ही नहीं दुनिया में प्रसिद्ध है.
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हरिद्वार के कनखल में स्थित यह मंदिर देखने में भले ही साधारण सा है और दूसरे मंदिरों जैसा ही लगता है, मगर मान्यता है कि यह बहुत सिद्ध मंदिर है. किसी भी प्रकार के मुकदमे में फंसे व्यक्तियों के लिए तो जैसे साक्षात हनुमान जी उनकी रक्षा के लिए यहां विराजमान रहते हैं.

सिने कलाकार भी हैं मुरीद: इस मंदिर में संजय दत्त और सलमान खान की भी अर्जी लग चुकी है. उनको भी अपने मुकदमे से मुक्ति मिली है. बताया जाता है की टाडा में फंसे संजय दत्त की ओर से उनके करीबी ने यहां लिखित अरदास की थी, जिसके बाद ही उन्हें मुकदमे से निजात मिली थी. ऐसे ही सलमान खान को भी यहीं अर्जी लगाने पर मुकदमों से राहत मिली थी ऐसा कहा जाता है.

क्या है कहानी:भगवान शंकर की ससुराल और राजा दक्ष की नगरी कनखल में उस वक्त के प्रकांड विद्वान चंडी प्रसाद मिश्रपुरी ज्योतिषाचार्य रहा करते थे, जो हनुमान के बड़े भक्त थे. कहा जाता है कि उस समय औरंगजेब रोजाना ब्राह्मणों के 1 किलो जनेऊ तोल कर उतने ही हिंदुओ को मुसलमान बनाता था और जो विरोध करता था, उसका बेरहमी के साथ कत्ल कर दिया जाता था. उसके अत्याचारों से हिन्दू खासकर ब्राह्मण और क्षत्रिय बहुत पीड़ित थे. औरंगजेब के आतंक और अत्याचारों से बचने के लिए उस वक्त सैकड़ों ब्राह्मण हरिद्वार आ गए, जिन्हें चंडी प्रसाद मिश्रपुरी ने आश्रय दिया और जजिया कर देने से इनकार कर दिया.

जब ये बात औरंगजेब को पता चली तो उसने चंडी प्रसाद और सैकड़ों ब्राह्मणों पर राजद्रोह का मुकदमा कर दिया. तब मुगलों की देवबंद स्थित अदालत के काजी ने चंडी प्रसाद को राजद्रोह का समन भेजा, तभी उन्होंने मुकदमे से मुक्ति और ओरंगजेब की मौत के लिए संकल्प लिया कि वह कालजयी योग में हनुमान मंदिर की स्थापना करेंगे और मंदिर स्थापना से ठीक 40वें दिन औरंगजेब की मौत हो जाएगी.
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औरंगजेब की मौत के लिए हुआ था अनुष्ठान: 15 जनवरी, 1757 को कालजयी नक्षत्र में मकर संक्रांति के दिन मंगलवार को अनुष्ठान किया गया, जिसके बाद 40वें दिन औरंगजेब की मौत हो गई थी ऐसा कहा जाता है. तभी से इस मंदिर का नाम मुकदमा जिताओ हनुमान मंदिर पड़ा. इस मंदिर की स्थापना से संबंधित अभिलेख भी मंदिर की दीवारों पर लिखे हुए हैं, जो फारसी भाषा में हैं.

कैसे पहुंचें: यह मंदिर कनखल में मुख्य बाजार में स्थित है. बस या रेल द्वारा आने वाले श्रद्धालुओं को यहां पहुंचने के लिए ऑटो या ई रिक्शा लेना होगा. इसके लिए करीब ₹100 किराया लगता है, जबकि कार द्वारा आने वाले श्रद्धालुओं को चौक बाजार या फिर झंडा चौक पर वाहन खड़ा करना होगा.

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