हरिद्वार:1 जुलाई से हरिद्वार में निर्धारित सीमा से ऊपर की प्लास्टिक की पन्नी, केन आदि की बिक्री पर प्रशासन ने पूरी तरह से रोक लगा दी थी. इसको लेकर शुक्रवार को अधिकारियों द्वारा विशेष रूप से गंगा घाटों पर छापेमारी कर चालान काटने की कार्रवाई भी की गई. लेकिन यह सब दिखावे से ज्यादा कुछ नहीं था. प्रशासन के दावों को टटोलने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने देर रात हर की पैड़ी क्षेत्र में रियलिटी चेक किया तो दावे पूरी तरह से फेल नजर आए. क्योंकि न केवल क्षेत्र में प्लास्टिक की केन धड़ल्ले से बिक रहे थे, बल्कि हर की पैड़ी क्षेत्र में प्रतिबंधित प्लास्टिक शीट्स भी बेची व प्रयोग की जा रही थीं. और यह सब चोरी-छिपे नहीं बल्कि खुल्लम खुल्ला हो रहा था.
1 जुलाई से बैन हुआ प्लास्टिक: आपको बता दें कि गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने के लिए हरिद्वार में विशेष रूप से गंगा घाटों के आसपास किसी भी तरह के प्लास्टिक निर्मित उत्पादों की बिक्री पर शुक्रवार से पूरी तरह से बैन लगाने की घोषणा नगर निगम द्वारा की गई थी. जिसकी कवायद बीते एक सप्ताह से चल रही थी. नगर निगम का दावा है कि उनकी कई टीमें क्षेत्रों में घूम घूम कर इन उत्पादों को बेचने वालों को आगाह कर रही थी कि 1 तारीख से वे न तो प्रतिबंधित उत्पादों को रख सकेंगे और ना ही बेच सकेंगे.
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नगर निगम की कार्रवाई महज दिखावा: शुक्रवार दोपहर हर की पैड़ी क्षेत्र में नगर निगम के अधिकारियों ने प्लास्टिक केन व पन्नियां बेचने वाले कुछ लोगों के चालान किए और दावा किया कि अब क्षेत्र में कहीं भी इस तरह के प्लास्टिक उत्पाद नहीं दिख रहे हैं. नगर निगम के इन दावों की हकीकत जानने के लिए शुक्रवार देर रात ईटीवी भारत की टीम ने हर की पैड़ी क्षेत्र का जायजा लिया तो पाया कि उसके तमाम दावे हवा-हवाई हैं. अभी भी हर की पैड़ी क्षेत्र में धड़ल्ले से प्लास्टिक केन और पन्नियां बेची जा रही हैं. यह सब चोरी छुपे नहीं बल्कि घाटों पर गंगा किनारे खुल्लम खुल्ला किया जा रहा है.
निगम कर्मियों पर आरोप: ईटीवी भारत की टीम जब हर की पैड़ी क्षेत्र में प्रतिबंध के बावजूद खुलेआम प्लास्टिक केन बेचने वालों के बीच पहुंची तो एक चौंकाने वाली बात सामने आई. इन दुकानदारों ने कुछ निगम कर्मियों पर कैमरे के सामने गंभीर आरोप लगाए. इन लोगों का साफ कहना था कि यह निगम कर्मी सिर्फ क्षेत्र में वसूली करने आते हैं. इन्हें इस बात से कोई मतलब नहीं कि कोई प्लास्टिक केन बेचे या ना बेचे.
छोटों पर सितम बड़ों पर करम: अक्सर नगर निगम गंगा घाटों पर चंद प्लास्टिक के केन और जमीन पर बिछाने वाली प्लास्टिक की सीट बेचने वालों के खिलाफ तो चालान की कार्रवाई कर देता है. लेकिन इन लोगों को सप्लाई करने वाले बड़े कारोबारियों पर आखिर कार्रवाई क्यों नहीं होती और बाजार में ही स्थित उनके गोदामों पर कार्रवाई ना होने का क्या कारण है यह एक बड़ा सवाल है.