हल्द्वानी: कैटरपिलर फंगस यानी (कीड़ा-जड़ी) दुर्गम पहाड़ों पर उगने वाली फफूंद है.जिसे शक्ति वर्धक दवाइयों के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है. इसका इस्तेमाल कई गंभीर बीमारियों में भी किया जाता है. विशेषकर कैंसर से लेकर नपुंसकता में यह रामबाण काम करती है. जानकारी के मुताबिक, अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसकी कीमत 50 से 70 लाख रुपए प्रति किलो है. तेजी से होते जलवायु परिवर्तन के कारण कीड़ा जड़ी पर भी खतरा मंडराने लगा है लेकिन इस पर जो हुए शोध में जो सामने आया है उसके चौंकाने वाले परिणाम सामने आए हैं. शोध में पता चला है कि कई पलायन कर चुके परिवार कीड़ा जड़ी के संरक्षण के लिए वापस लौट रहे हैं.
उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र ने पिथौरागढ़ जिले के सीमांत स्थानों पर कीड़ा जड़ी पर शोध किया है. जिससे यह बात सामने आई है कि यहां रहने वाले लोगों के लिए यह आर्थिकी का अहम जरिया है. इन स्थानों से पलायन भी कम हुआ है, जो लोग बाहर चले गए थे वे भी इसके संरक्षण के लिए वापस आ रहे हैं.
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