हल्द्वानी:उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 (uttarakhand assembly election 2022) की तैयारियां जोरों पर है. लोकतंत्र के इस पर्व में सभी दल अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं. ऐसे में नैनीताल जनपद की लालकुआं विधानसभा सीट सबसे हॉट सीट मानी जाती है, सैन्य बहुल्य आबादी कांग्रेस और बीजेपी दोनों के लिए यह विधानसभा सीट महत्वपूर्ण है. वर्तमान समय में भारतीय जनता पार्टी से नवीन दुम्का यहां के विधायक हैं. नवीन दुम्का ने 2017 में कई ऐसे वादे किए जो आज तक पूरे नहीं हुए हैं. तो आइये जानते हैं विधायक को लेकर क्या सोचती है यहां की जनता?
नवीन दुम्का साल 2017 के चुनाव में प्रदेश में सबसे ज्यादा ज्यादा मतों से जीतने वाले दूसरे विधायक बने थे. जिन्होंने 28 हजार मतों से जीत हासिल की थी. यहां तक कि नवीन दुम्का विधायक निधि खर्च करने वाले प्रदेश के पहले विधायक भी हैं. जिन्होंने अपनी विधायक निधि 100% खर्च किया है. लालकुआं विधानसभा क्षेत्र में जनता की कई ऐसी मूलभूत सुविधाएं थी जिनको विधायक ने दूर करने की कोशिश की है. सबसे बड़ा संकट यहां पर पेयजल समस्या थी, जिसको विधायक ने पूरा करने का पूरा प्रयास किया है लेकिन विधायक ने जिन वादों को लेकर 2017 का चुनाव लड़ा था उसमें कई ऐसे वादे हैं जो अभी तक पूरे नहीं हुए हैं. ऐसे में इस बार बीजेपी की राह आसान नहीं लग रहे हैं.
साल 2012 में धारी विधानसभा को खत्म कर 56 लालकुआं विधानसभा बनाया गया. जहां पहली बार हल्द्वानी के रहने वाले गोविंद सिंह बिष्ट विधायक बने और प्रदेश में शिक्षा मंत्री बने. लेकिन लालकुआं में उनकी स्थिति ठीक नहीं होने पर उन्होंने अपनी सीट बदलते हुए भीमताल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा. जहां वह चुनाव हार गए. 2017 में भगत सिंह कोश्यारी के करीबी और आरएसएस से ताल्लुक रखने वाले नवीन दुम्का को बीजेपी ने टिकट दिया और नवीन दुमका 44,293 मत पाते हुए अपने प्रतिद्वंदी तत्कालीन मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल को करीब 28, 000 मतों से हराया था जहां दुर्गापाल को 17,185 मत मिले थे.
सालों से लंबित है राजस्व ग्राम की मांग:लालकुआं विधानसभा क्षेत्र की सबसे बड़ा मुद्दा बिन्दुखत्ता गांव का है. बिंदुखत्ता प्रदेश का सबसे बड़ा गांव है. यहां करीब 55,000 मतदाता अकेले इस गांव में रहते हैं. सैन्य बाहुल्य इस गांव के हर परिवार में एक व्यक्ति सेना से जुड़ा हुआ है. इस गांव के लोग पिछले 45 साल से राजस्व गांव की लड़ाई लड़ते आ रहे हैं. बीजेपी हो या कांग्रेस दोनों पार्टियों ने राजस्व गांव को लेकर बारी बारी से जनता के बीच जाकर उनको राजस्व गांव बनाए जाने का वादा कर सत्ता में राज किया है. लेकिन आज भी यहां के लोग अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं. 2012 के विधानसभा चुनाव में तत्कालीन कैबिनेट मंत्री हरिश्चंद्र दुर्गापाल राजस्व गांव के मुद्दे पर चुनाव जीते थे लेकिन राजस्व गांव नहीं बनाने पर उनको हार का मुंह देखना पड़ा था.
अधर में लटकी है मुख्यमंत्री की घोषणाएं:इसके अलावा लालकुआं विधानसभा क्षेत्र हल्द्वानी शहर से लगा हुआ विधानसभा है. हल्द्वानी शहर की आईएसबीटी का निर्माण, इंटरनेशनल जू गौलापार बनना था, जिसका 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने लोकार्पण भी किया लेकिन बीजेपी सरकार के कार्यकाल में योजनाएं बंद कर दी गई. इसके अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग का भी निर्माण अधर में है. जो पिछले 6 सालों से निर्माण चल रहा है जो लालकुआं से हल्द्वानी के बीच चलने वाले राहगीरों और पर्यटकों के लिए मुसीबत बन रहा है.
लालकुआं विधानसभा क्षेत्र में सबसे बड़ी समस्या सिंचाई और पेयजल की थी लेकिन वर्तमान विधायक ने इस समस्या को दूर करने का काम किया है. जहां जगह-जगह हैंडपंप और ट्यूबवेल के माध्यम से लोगों को पानी उपलब्ध कराने का काम किया है.