हल्द्वानी:पहाड़ का 'सना हुआ नींबू' सेहत के साथ जाड़ों में शरीर को ताजगी भी देता है. पहाड़ी नींबू की चाट चटखारेदार तो होती ही है ये ताजगी और रोग प्रतिरोधक भी होती है. इन दिनों उत्तराखंड में बड़े वाले नींबू बहुतायत में होते हैं. जगह-जगह आपको इसकी चाट खाने के शौकीन नींबू सानते हुए मिल जाएंगे. नींबू माल्टा की प्रजाति का ही खट्टा फल होता है. ये माल्टा से साइज में काफी बड़ा होता है.
ऐसे बनाते हैं नींबू की चाट:आइए जानते हैं कैसे सानते हैं नींबू या कैसे बनाते हैं नींबू की चाट. सबसे पहले 2 पहाड़ी नींबू लेते हैं. इन्हें छीलते हैं. इनके फांकों से छोटे-छोटे पीस निकालते हैं. अब इसमें पिसा हुआ हरा धनिया, पिसी हरी मिर्च, पिसा हरा लहसुन और नमक मिलाते हैं. कुछ लोग इसमें भांग पीसकर भी मिलाते हैं. ये तो हो गया इसका खट्टा और नमकीन स्वाद. कुछ लोग इसमें गुड़, चीनी या फिर शहद भी मिलाते हैं. इससे स्वाद कई गुना बढ़ जाता है. कई जगह नींबू की चाट में दही भी मिलाया जाता है. इसके बाद इसे हाथों से अच्छी तरह मिलाया जाता है.
नींबू की स्वादिष्ट चाट ऐसे बनाएं और तैयार हो गई नींबू की चाट: आपकी नींबू की चाट तैयार है. अब इसे तिमिल के पत्तों (तिमिल अंजीर प्रजाति का पेड़ होता है) में इसे परोसा जाता है. जहां तिमिल के पत्ते नहीं हों वहां कांच या चीनी मिट्टी के प्लेट-कटोरी में भी नींबू की चाट परोसी जा सकती है. वैसे स्टील और एल्यूमीनियम के बर्तनों में भी नींबू की चाट परोसी जा सकती है. लेकिन तिमिल के पत्तों और कांच या चीनी मिट्टी के बर्तनों में इसका स्वाद अद्भुत होता है.
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इम्यून बूस्टर है नींबू की चाट: आर्गेनिग फूड के जानकार अनिल पांडे की मानें तो 'सना हुआ नीबू' सेवन करने की परंपरा पहाड़ की पुरानी परंपरा है. यह परंपरा जहां घर परिवार की महिलाओं में मेल मिलाप बढ़ाती है, वहीं सेहत के लिए भी फायदेमंद मानी जाती है. खासकर पहाड़ के नीबू और माल्टा में रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत ज्यादा होती है.
विटामिन सी से है भरपूर: दरअसल इसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन सी होता है. सभी लोग जानते हैं विटामिन सी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में कारगर होता है. नींबू की चाट में मिलाए जाने वाले मसाले भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भरपूर होते हैं. वैसे भी आजकल कोरोना काल चल रहा है तो सना हुआ नींबू धूप में बैठकर खाने से आप रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा सकते हैं.
नींबू को जानें: नींबू विटामिन सी से भरपूर स्फूर्तिदायक और रोग निवारक फल है. इसका रंग पीला या हरा तथा स्वाद खट्टा होता है. इसके रस में 5% साइट्रिक एसिड होता है तथा जिसका pH 2 से 3 तक होता है. नींबू की उत्पत्ति कहां हुई इसके बारे में कोई ठोस प्रमाण नहीं है, परन्तु आमतौर पर लोग यही मानते हैं कि यह पौधा मूल रूप से भारत, उत्तरी म्यांमार एवं चीन का फल है. खाने में नीबू का प्रयोग कब से हो रहा है इसके निश्चित प्रमाण तो नहीं हैं, लेकिन यूरोप और अरब देशों में लिखे गए दसवीं सदी के साहित्य में इसका उल्लेख मिलता है. मुगल काल में नीबू को शाही फल माना जाता था. कहा जाता है कि भारत में पहली बार असम में नीबू की पैदावार हुई.