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गढ़वाली और कुमाऊंनी को राष्ट्रभाषा सूची में शामिल करने के लिए संसद में उठी आवाज, बिल हुआ मंजूर

अजय भट्ट ने कहा कि उत्तराखंड के विकास के लिए यहां की समस्याओं को संसद तक पहुंचाने के लिए जनता ने उन्हें भारी मतों से जिताकर दिल्ली भेजा है. ऐसे में उनका दायित्व बनता है कि उत्तराखंड की हर एक समस्या को वे सदन में उठाएं.

गढ़वाली और कुमाऊंनी को राष्ट्रभाषा सूची में शामिल करने के लिए भट्ट का प्रयास

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Published : Jun 29, 2019, 10:40 PM IST

हल्द्वानी:गढ़वाली और कुमाऊंनी भाषा को राष्ट्रभाषा सूची में शामिल करने के मामले को नैनीताल सासंद अजय भट्ट ने एक बार फिर से हवा दे दी है. शनिवार को हल्द्वानी पहुंचे भट्ट ने कहा कि उन्हें अब तक एक बार संसद में बोलने का मौका मिला है. जिसमें उन्होंने कुमाऊंनी और गढ़वाली भाषा को राष्ट्रभाषा के अनुसूची में शामिल करने की बात कही. साथ ही उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में सदन में बिल एक्सेप्ट भी हुआ है.

गढ़वाली और कुमाऊंनी को राष्ट्रभाषा सूची में शामिल करने के लिए भट्ट का प्रयास

अजय भट्ट ने कहा कि उत्तराखंड के विकास के लिए यहां की समस्याओं को संसद तक पहुंचाने के लिए जनता ने उन्हें भारी मतों से जिताकर दिल्ली भेजा है. ऐसे में उनका दायित्व बनता है कि उत्तराखंड की हर एक समस्या को वे सदन में उठाएं. उन्होंने कहा कि सांसद बनने के बाद पहली बार उन्हें संसद में बोलने का मौका मिला. जिसमें उन्होंने सबसे पहले कुमाऊंनी और गढ़वाली भाषा को राष्ट्रभाषा के अनुसूची में शामिल करने का मु्द्दा उठाया. उन्होंने कहा कि इस मामले में राष्ट्रभाषा की अनुसूची 8 में लाने के लिए सदन में बिल को एक्सेप्ट किया गया है.

अजय भट्ट ने कहा कि धारा 370 और जनसंख्या नियंत्रण सहित कई अन्य मुद्दों पर भी संसद में बिल पास कराया गया है. उन्होंने कहा कि संसद की प्रणाली में लॉटरी सिस्टम के तहत सवाल उठाए जाते हैं. उन्होंने कहा जब भी संसद में उन्हें मौका मिलेगा वे राज्य की समस्याओं को सदन में रखकर उसे दूर करने के लिए प्रयास करेंगे. साथ ही भट्ट ने कहा कि बिंदुखत्ता, दमुवा ढुंगा सहित कई ऐसे गांव हैं जो अभी तक राजस्व गांव नहीं हो पाये हैं, उसके लिए भी वे लगातार काम कर रहे हैं.

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