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उत्तराखंड में होली के पहले ही दिन लोगों पर चढ़ा खुमार, मस्ती में डूबे होल्यार

होली के पर्व को देखते हुए शहरों को सजाया गया है. इस दौरान पूरा शहर होली के रंग में रंगा नजर आया. शहर में सुबह से ही होली पूजन होने लगा था. जिसे लेकर महिलाओं ने पहले ही तैयारियां पूरी कर ली थी. वहीं, इस दौरान लोग रंगों की छटा के साथ चाट, पकौड़ी, मिठाई और गुजिया का आंनद लेते भी नजर आये.

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होली के पहले ही दिन लोगों पर चढ़ा खुमार

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Published : Mar 9, 2020, 6:58 PM IST

Updated : Mar 9, 2020, 7:50 PM IST

लक्सर/श्रीनगर/हल्दानी/गदरपुर: सोमवार को रंगों के त्योहार होली की शुरुआत हो चुकी है. प्रदेश के अलग-अलग स्थानों पर पहले ही दिन होली की धूम देखने को मिली. लक्सर, श्रीनगर, हल्दानी और गदरपुर सभी जगहों पर लोगों ने घरों से निकलकर एक दूसरे पर गुलाल लगाया. इसके साथ ही कई जगहों पर होली गायन का भी आयोजन किया गया. अबीर गुलाल के रंग में रंगकर लोगों ने एक दूसरे को होली की बधाइंयां दी.

होली के पहले ही दिन लोगों पर चढ़ा खुमार

होली के रंग में सजा लक्सर

लक्सर में होली के पर्व को देखते हुए शहरों को सजाया गया है. इस दौरान पूरा शहर होली के रंग में रंगा नजर आ रहा है. शहर में सुबह से ही होली पूजन होने लगा है. जिसे लेकर महिलाओं ने पहले की तैयारियां पूरी कर ली थी. वहीं, इस दौरान लोग रंगों की छटा के साथ ही साथ चाट, पकौड़ी, मिठाई और गुजिया का आंनद लेते भी नजर आये. शहर में होलिका दहन की तैयारियां बच्चों ने सुबह से ही पूरी कर ली हैं. बच्चों ने लकड़ियां, घास-फूंस और उपलों से होलिका दहन की तैयारियां की है. महिलाएं भी रात्रि पूजा के लिए तैयारी कर बैठीं हैं.

वहीं, हरे कृष्णा मंदिर के मुख्य पुजारी सदानंद प्रभु ने बताया कि होली के त्योहार को देश-विदेश में धूमधाम से मनाया जाता है. इस त्योहार में आपसी भेदभाव भुलाकर प्रेम का संदेश दिया जाता है. उन्होंने बताया कि खास बात ये है कि इस दिन राधा रानी और श्रीकृष्ण के संयुक्त रुप से अवतारी चैतन्य महाप्रभु का जन्म दिवस भी है. पश्चिम बंगाल के मायापुर धाम में चैतन्य महाप्रभु का जन्म हुआ था. जिन्होंने पूरे विश्व भर में प्रेम का संदेश दिया था.

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श्रीनगर की होली का है अपना इतिहास

श्रीनगर में होल्यारों ने टोलियों बनाकर नाचते गाते होली के त्योहार का शुरुआत की. श्रीनगर में होली का सिलसिला शिव रात्रि से ही शुरू हो जाता है. जो कि बड़ी होली के दिन तक चलती है. इस दौरान होल्यार गीत-संगीत की धुन पर जमकर थिरकते हैं. श्रीनगर की होली का अपना ही अलग ही इतिहास रहा है. यहां राजा-महाराजाओं के जमाने से ही इसकी अलग पहचान रही है.

कहा जाता है कि होली के दिनों में गढ़वाल नरेश के यहां राग-रागनियों, शास्त्रीय संगीत के जरिये होली खेली जाती थी. श्रीनगर नगर पालिका के पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष और प्रसिद्ध रंगकर्मी कृष्ण नंद मैठाणी के अनुसार 18वीं सदी में टिहरी नरेश प्रद्युम्न शाह द्वारा होली के दिनों में बैठकी होली की जाती थी. जिसमें रज्जो देवी, रत्ना देवी, हिरली देवी बैठकों में हिस्सा लिया करती थीं. पुराने दिनों के बारे कहते हुए मैठाणी कहते हैं कि होली का त्योहार पूरे शहर में भाईचारे की अमिट छाप छोड़ता है.

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हल्द्वानी में होलिका दहन की तैयारी

हल्द्वानी में भी रंगोत्सव की धूम देखी जा रही है. हल्द्वानी के होली ग्राउंड में होलिका दहन का आयोजन किया गया है. जहां रात 8 बजे होलिका दहन किया जाएगा. होलिका दहन से पहले महिलाओं ने अपने परिवार की सुख शांति के लिए परंपरागत तरीके से व्रत रखकर होलिका पूजन किया. वहीं, होली के मौके पर हल्द्वानी के बाजारों में जमकर भीड़ देखी जा रही है. खरीदार अपने परिवार के लिए नए कपड़े और मिठाइयों की खरीदारी कर रहे हैं.

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गदरपुर में खेली गई खड़ी होली

गदरपुर में पर्वतीय समाज के लोग खड़ी होली मनाते हुए अलग-अलग टोलियां बनाकर घर-घर जाकर होली की मधुर गीतों पर नाचते हुए आशीर्वाद देकर होली का त्योहार मना रहे हैं. इसके साथ ही ये लोग समाज को एकजुटता का संदेश भी दे रहे हैं. इस दौरान कैलाश शर्मा ने कहा कि वे लोग दो तरह की होली मनाते हैं. एक खड़ी होली और दूसरी बैठक होली. उन्होंने कहा कि सभी वर्ग और समाज के लोग एक साथ मिलकर होली का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं.

Last Updated : Mar 9, 2020, 7:50 PM IST

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