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प्रदेश के महाविद्यालयों में 50% प्रोफेसरों के पद रिक्त, 34 के पास नहीं हैं खुद के भवन - Uttarakhand

नए शिक्षण सत्र की तैयारियां शुरू हो गई हैं लेकिन फिर भी प्रदेश की उच्च शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से बदहाल है. प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत शिक्षा व्यवस्था में सुधार के दावे तो कर रहे हैं लेकिन जमीनी हकीकत उनके दावों को आईना दिखा रही है.

नये शिक्षण सत्र की शुरुआत और प्रदेश में उच्च शिक्षा व्यवस्था बदहाल

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Published : Jul 20, 2019, 12:42 PM IST

हल्द्वानी: नए शिक्षण सत्र की तैयारियां शुरू हो गई हैं लेकिन फिर भी प्रदेश की उच्च शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से बदहाल है. राज्य के अधिकतर डिग्री कॉलेज के हालात जस के तस बने हुए हैं. प्रदेश में जहां 14 कॉलेजों में प्राचार्यों की कमी है, वहीं महाविद्यालयों में 50 फीसदी प्रोफेसर के पद रिक्त हैं.

इसके अलावा प्रदेश के करीब 34 डिग्री कॉलेज ऐसे हैं जो किराए के भवन में चल रहे हैं. वहीं मामले में उच्च शिक्षा मंत्री शिक्षा व्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे तो कर रहे हैं लेकिन हालात जस के तस हैं.

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बता दें कि नए शिक्षण सत्र की शुरुआत होने के बाद भी शिक्षा व्यवस्था में कोई सुधार होता नजर नहीं आ रहा है. प्रदेश में कुल 104 डिग्री कॉलेज हैं, जिसमें से 34 कॉलेज ऐसे हैं जिनके पास अपने भवन तक नहीं हैं, जो वर्षों से किराए पर चल रहे हैं. यही नहीं प्रदेश के कॉलेजों में 50% के करीब प्रोफेसर मौजूद हैं जबकि कई मुख्य विषयों के प्रोफेसरों के पद रिक्त चल रहे हैं. प्रदेश के 14 कॉलेज ऐसे हैं जिनको प्राचार्य भी नसीब नहीं हो रहे हैं. इतना ही नहीं कॉलेजों की किताबें भी वर्षों पुरानी हैं.

नये शिक्षण सत्र की शुरुआत और प्रदेश में उच्च शिक्षा व्यवस्था बदहाल

प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत का कहना है कि शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए ₹25000 रुपए मानदेय पर शिक्षकों की तैनाती की गई है. जिससे छात्रों को पढ़ाई में कोई दिक्कत ना हो. शिक्षकों की नियुक्ति का विवाद कोर्ट में होने के चलते भर्ती प्रक्रिया बंद थी. कोर्ट से मामला निपट चुका है और जल्द ही बड़ी संख्या में प्रोफेसरों की भर्ती की जाएगी. जिससे लोगों को रोजगार भी मिल सकेगा और शिक्षा व्यवस्था दुरुस्त होगी.

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