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किसानों की उम्मीदों पर फिरा पानी, पाले और ओलावृष्टि ने बर्बाद की टमाटर की फसल - पाला और ओलावृष्टि

कुमाऊं क्षेत्र में हुई भारी ओलावृष्टि और पाले ने टमाटर की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है. पहली बार फरवरी माह में पहाड़ों के लिए टमाटर मैदानी इलाकों से मंगाना पड़ रहा है.

पाले और ओलावृष्टि ने बर्बाद की टमाटर की फसल

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Published : Feb 27, 2019, 11:19 AM IST

Updated : Feb 27, 2019, 11:47 AM IST

हल्द्वानी: टमाटर की खेती के लिए हल्द्वानी प्रदेश में अपनी अलग पहचान रखता है. टमाटर यहां के किसानों की आर्थिकी का बड़ा सहारा है, लेकिन इस साल यहां के किसानों पर दोहरी मार पड़ी है. शुरू में ज्यादा सर्दी और काली टिक्की के रोग ने किसानों को रुलाया फिर लगातार हुई ओलावृष्टि और पाले ने किसानों के माथे पर चिंता की लकीर खींच दी.

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कुमाऊं क्षेत्र में हुई भारी ओलावृष्टि और पाले ने टमाटर की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है. जिससे किसानों के चेहरे मुरझाए हुए हैं. पहली बार फरवरी माह में पहाड़ों के लिए टमाटर मैदानी इलाकों से मंगाना पड़ रहा है.

पाले और ओलावृष्टि ने बर्बाद की टमाटर की फसल

टमाटर के कारोबारियों की मानें तो इस बार ओलावृष्टि और पाले के चलते टमाटर के उत्पादन में काफी कमी आई है. जिससे टमाटर के रेट में उछाल आया है. पिछले सालों की अपेक्षा पहली बार फरवरी महीने में मैदानी इलाकों से टमाटर पहाड़ों के लिए आयात करना पड़ रहा है.

मंडी परिषद एसोसिएशन का कहना है कि पिछले साल हल्द्वानी मंडी से 1 लाख 22 हजार कुंतल टमाटर निर्यात किया गया था. जबकि इस साल 1 लाख 12 हजार कुंतल ही टमाटर निर्यात हुआ है. काश्तकार मौसम की मार के वजह से टमाटर की उत्पादन छोड़ अन्य फसलों की ओर रुख कर रहे हैं.

Last Updated : Feb 27, 2019, 11:47 AM IST

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