हल्द्वानी: 'मिलेगी परिंदों को मंजिल ये उनके पर बोलते हैं, रहते हैं कुछ लोग खामोश लेकिन उनके हुनर बोलते हैं', जो अपनी दिव्यांगता को तकदीर का अभिशाप न समझकर अपने मन की उमंग से हाथों में खिंची लकीर को बदलकर इसे वरदान में बदल लेते हैं. जो अपनी किस्मत की लकीरों पर भरोसा न करके अपने हुनर को ही जीवनशैली का हिस्सा बना लेते हैं. ऐसे ही एक शख्स हैं हल्द्वानी के भुवन चंद्र गुणवंत, जिन्होंने अपने बुलंद हौसलों से कार को दिव्यांगों के हिसाब से मॉडिफाई किया है.
हुनर से बदली तस्वीर
हल्द्वानी की सड़कों पर सरपट दौड़ती इस कार को किसी इंजीनियर ने नहीं बल्कि एक दिव्यांग व्यक्ति ने अपनी जरूरत के हिसाब से मॉडिफाई किया है. आज दुनिया में पहली पेट्रोल कार बनाने वाले कार्ल बेंज जिंदा होते तो वे भी हैरान रह जाते. इस कार को हल्द्वानी के हल्दुचौड़ के रहने वाले दिव्यांग भुवन चंद्र गुणवंत (51) ने मॉडिफाई किया है. जिनके दोनों पैर नहीं हैं. जिससे वे रोजाना शहर की सड़कों पर गाड़ी चलाते दिखाई देते हैं.
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