हल्द्वानी: उत्तराखंड राज्य की मांग को लेकर यहां की जनता ने लंबी लड़ाई लड़ी. जिसके बाद 9 नवंबर 2000 को उत्तरांचल देश के 27 वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया. 2007 में राज्य का नाम उत्तरांचल का बदलकर उत्तराखंड हो गया. लेकिन 18 साल बीत जाने के बाद भी उत्तराखंड को स्थाई राजधानी नहीं मिल पाई है. स्थाई राजधानी को लेकर दोनों ही सरकारों का रवैया एक जैसा ही रहा है.
18 साल बाद भी नसीब नहीं हुई स्थायी राजधानी, बीजेपी-कांग्रेस ने किया 'खेल' - Congress candidate Harish Rawat
9 नवंबर 2000 को उत्तरांचल देश के 27 वें राज्य के रूप में अस्तित्व में आया. 2007 में राज्य का नाम उत्तरांचल का बदलकर उत्तराखंड हो गया. लेकिन 18 साल बीत जाने के बाद भी उत्तराखंड को स्थाई राजधानी नहीं मिल पाई है.
बता दें कि नैनीताल-उधम सिंह नगर से कांग्रेस प्रत्याशी हरीश रावत शुक्रवार को हल्द्वानी पहुंचे थे. हरदा ने स्थायी राजधानी के मुद्दे पर कहा कि उनकी सरकार ने गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने को लेकर कई अहम काम किए है. उनके द्वारा गैरसैंण में विधान भवन बनाया गया. इसके साथ ही सचिवालय भवन के लिए भी बजट उपलब्ध कराया गया. लेकिन बीजेपी सरकार ने सत्ता में आने के गैरसैंण में एक भी ईंट नहीं रखी.
ये भी पढ़े: चुनाव से 48 घंटे पहले भारत-नेपाल सीमा हो जाएगी सील
वहीं, स्थायी राजधानी के मुद्दे पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और नैनीताल लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी अजय भट्ट का कहना है कि प्रदेश सरकार द्वारा गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाएं जाने की दिशा में काम किया जा रहा है. गैरसैंण में विधानसभा सत्र का आयोजन भी किया गया. विधानसभा में राजधानी के लेकर चर्चा भी की गई लेकिन कांग्रेस ने इसका विरोध किया है.