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प्रदेश के सबसे बड़े गांव को अभी तक नहीं मिला राजस्व गांव का दर्जा, खोखले साबित हुए नेताओं के दावे

ग्रामीणों का कहना है कि उनके पास सभी मूलभूत सुविधाएं हैं लेकिन नहीं है तो उनकी जमीन का मालिकाना हक. चुनाव से पहले सांसद और विधायक प्रत्याशी राजस्व गांव बनाने के नाम पर वोट मांग ले जाते हैं लेकिन अभी तक कोई ठोस पहल नहीं की गई.

बिंदुखत्ता गांव को अबतक नहीं मिला राजस्व गांव का दर्जा.

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Published : Mar 27, 2019, 9:04 AM IST

हल्द्वानी: प्रदेश का सबसे बड़ा गांव बिंदुखत्ता गांव आज भी राजस्व गांव की आस संजोए हुए है. गांव बसने के 50 साल बाद भी इस गांव को राजस्व गांव का दर्जा नहीं मिल पाया है. हर चुनाव से पहले राजनेता वायदा करते हैं लेकिन सरकार बनने के बाद बिंदुखत्ता गांव ठगा सा रह जाता है.

बता दें, बिंदुखत्ता गांव प्रदेश का सबसे बड़ा और सबसे ज्यादा आबादी वाला गांव है. इस गांव में करीब 80 हजार मतदाता हैं. इस गांव में ज्यादातर सैनिक और पूर्व सैनिकों के परिवार रहते हैं. लोकसभा चुनाव हो या विधानसभा चुनाव प्रत्याशियों के भाग बदलने में बिन्दुखत्ता गांव का बड़ा योगदान रहता है. हर चुनाव से पहले यहां नेता आते हैं और राजस्व गांव बनाने की बात करते हैं, लेकिन 5 दशक बीत जाने के बाद भी कोई भी राजनेता इस गांव को राजस्व गांव बनाने के लिए कोई बड़ी पहल नहीं कर पाया है.

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ग्रामीणों का कहना है कि उनके पास सभी मूलभूत सुविधाएं हैं लेकिन नहीं है तो उनकी जमीन का मालिकाना हक. चुनाव से पहले सांसद और विधायक प्रत्याशी राजस्व गांव बनाने के नाम पर वोट मांग ले जाते हैं लेकिन अभी तक कोई ठोस पहल नहीं की गई.

बिंदुखत्ता गांव को अबतक नहीं मिला राजस्व गांव का दर्जा.

ग्रामीणों की मांग पर पिछली हरीश रावत की सरकार के दौरान सरकार में मंत्री हरीश चंद्र दुर्गापाल ने इस गांव को नगर पालिका का दर्जा दिया. तब यहां के लोगों की उम्मीद जगी की बिंदुखत्ता गांव का विकास होगा लेकिन नगरपालिका भी राजनीति की भेंट चढ़ गया और 6 महीने बाद हरीश रावत सरकार को नगर पालिका को रद्द करना पड़ा.

एक बार फिर लोकसभा चुनाव सिर पर है, ऐसे में बिंदुखत्ता के मतदाता अब फिर खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं. राजनेता आएंगे और राजस्व गांव के नाम पर वोट मांगेंगे और फिर ठग कर चलते बनेंगे.

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