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बिंदुखत्ता गांव को राजस्व गांव का दर्जा देने की मांग, किसान महासभा ने किया प्रदर्शन

बिंदुखत्ता गांव को लंबे समय से राजस्व गांव का दर्जा देने की मांग हो रही है.सैनिक बाहुल्य इस गांव में 70 हजार की आबादी कई वर्षों से अपने मालिकाना हक की लड़ाई लड़ रही है.अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर तले बुधवार को उक्त मांग के अलावा हाथी कॉरिडोर प्रस्ताव को खारिज करने को लेकर प्रदर्शन किया.

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Published : Feb 27, 2019, 4:58 PM IST

राजस्व गांव का दर्जा देने की मांग

हल्द्वानीःशहर के बिंदुखत्ता गांव के सैकड़ों ग्रामीणों ने गांव को राजस्व गांव का दर्जा देने की मांग की है. ग्रामीणों ने अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर तले बुधवार को उक्त मांग के अलावा हाथी कॉरिडोर प्रस्ताव को खारिज करने को लेकर प्रदर्शन किया. बाद में तहसीलदार के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा गया.

अखिल भारतीय किसान महासभा और भाकपा माले नेतृत्व में सैकड़ों ग्रामीणों ने लालकुआं में सड़कों पर प्रदर्शन किया. संगठन के नेताओं ने तहसीलदार को ज्ञापन देते हुए कहा कि बिंदुखत्ता उत्तराखंड का सबसे बड़ा गांव है. सैनिक बाहुल्य इस गांव में 70 हजार की आबादी कई वर्षों से अपने मालिकाना हक की लड़ाई लड़ रही है.

बिंदुखत्ता गांव को राजस्व गांव बनाने सैकड़ों ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया

प्रदेश में कई सरकारें आईं और चली गईं, लेकिन किसी भी सरकार ने बिंदुखता गांव को राजस्व गांव का दर्जा देने के संबंध में कोई भी कदम नहीं उठाया. स्थानीय विधायक नवीन दुमका ने भी आगामी विधानसभा चुनाव में इस गांव को राजस्व गांव बनाने की बात कही थी, लेकिन अब तक कोई पहल नहीं हुई.


केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार है, ऐसे में यहां को लोगों को उम्मीद थी कि बिंदुखत्ता को राजस्व गांव का दर्जा मिल जाएगा लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई सुनवाई नहीं हुई. ग्रामीणों का आरोप है कि विधायक नवीन दुमका ने बिंदुखता को राजस्व गांव बनाने के लिए विधानसभा में भी अभी तक प्रस्ताव नहीं भेजा.


वहीं ग्रामीणों का कहना है कि बिंदुखता को, जब तक राजस्व गांव नहीं बनाया जाता तब तक ग्रामीण आंदोलन करते रहेंगे. अगर केंद्र की मोदी सरकार और राज्य सरकार द्वारा बिंदुखता को राजस्व गांव का दर्जा नहीं देती हैं तो ग्रामीण आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सबक सिखाएंगे.

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