देहरादून: दुनिया में लीवर में होने वाली प्राइमरी टीबी के बेहद कम केस पाए जाते हैं. इनमें से एक उत्तराखंड में 36 वर्षीय महिला में पाया गया. क्या होती है लीवर में प्राइमरी टीबी और कैसे इसका इलाज संभव हो पाया देखिए हमारी इस खास रिपोर्ट में.
लीवर में टीबी: विश्व लीवर डे के मौके पर जहां एक तरफ लीवर को साफ रखने और लीवर से जुड़ी बीमारियों को लेकर स्वास्थ्य जगत में चर्चाएं हो रही हैं, तो वहीं लीवर में होने वाली प्राइमरी टीबी एक दुर्लभ बीमारी है. विशेषज्ञ बताते हैं कि इस वक्त पूरे विश्व में इस बीमारी के 300 मरीज रिपोर्ट किये गए हैं. इस बीमारी में बेहद जोखिम है और इसका इलाज भी बेहद जटिल है. वहीं उत्तराखंड में भी लीवर में होने वाली प्राइमरी टीबी का पहला केस जनवरी 2022 को देहरादून मैक्स अस्पताल में रिपोर्ट किया गया.
36 साल की महिला को हुआ लीवर टीबी: देहरादून सहित आसपास के कई राज्यों के अस्पतालों में पेट के दर्द के चलते दर-दर ठोकरें खाते हुए देहरादून निवासी 36 वर्षीय महिला जनवरी 2022 में देहरादून मैक्स हॉस्पिटल पहुंची. देहरादून मैक्स अस्पताल में GI और लीवर ट्रांस्फर स्टैबलिश डॉक्टर मयंक नौटियाल ने बताया कि मैक्स अस्पताल आने से पहले इस महिला के काफी सारे टेस्ट हुए थे. उन टेस्ट में बताया गया था कि इनके लीवर में एक गांठ है. गांठ में क्या है. बीमारी क्या है. इसका ठीक से पता नहीं चल पा रहा था. कई सारे टेस्ट और डॉक्टरों की एक बड़ी टीम से विचार-विमर्श के बाद डॉक्टरों ने मरीज और उसके परिवार को दो विकल्प दिए. पहला विकल्प था कि लगातार और टेस्ट किये जायें. गांठ में क्या है, इसका पता लगाया जाए. या फिर दूसरा विकल्प था कि डायरेक्ट ऑपरेशन के जरिये गांठ को बाहर निकाल कर उसे बायोप्सी के लिए भेजा जाए. जिसके बाद स्पष्ट हो पायेगा कि आखिर समस्या क्या है.
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उत्तराखंड में पहली बार हुआ लीवर टीबी का सफल ऑपरेशन: महिला का इलाज कर रहे GI और लीवर ट्रांस्फर स्टैबलिश डॉक्टर मयंक नौटियाल ने बताया कि मरीज द्वारा ऑपरेशन का विकल्प लिया गया. जिसके बाद पहली दफा उत्तराखंड में लीवर की प्राइमरी टीबी का सफलतम ऑपरेशन किया गया. डॉक्टर मयंक ने बताया की यह ऑपरेशन अपने आप में बेहद जटिल है. ऊपर से लीवर के दाएं और बाएं हिस्से की पहचान करना मुश्किल होता है. खून काफी बहता है और पित्त लीक होने के अलावा इन्फेक्शन का काफी खतरा होता है.
ऑपरेशन के बाद पता चला लीवर टीबी है: कुल मिलाकर डायरेक्ट लीवर का ऑपरेशन करना कहीं ना कहीं बेहद रिस्क भरा भी है. उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन के चौथे दिन पेशेंट को घर भेजा गया. एक सप्ताह के भीतर बायोप्सी की रिपोर्ट आई. रिपोर्ट में टीबी निकला. उन्होंने बताया कि मरीज के शरीर में इसके अलावा बाकी कहीं भी टीबी के लक्षण नहीं थे. यह प्राइमरी टीबी केवल लीवर में थी जो कि अपने आप में बेहद दुर्लभ है और इसका इलाज भी बेहद जटिल है.
शारीरिक सुरक्षा में लीवर हेल्थ को ना करें इग्नोर: डॉक्टर मयंक नौटियाल के अनुसार आज के दौर में शारीरिक सुरक्षा को लेकर लोग काफी जागरूक हैं. लेकिन स्वास्थ्य के नाम पर आज लोग केवल हृदय रोग, मोटापे और इसी तरह की अन्य बीमारियों को ध्यान में रखते हुए अपनी सेहत का ख्याल रखते हैं. लीवर हेल्थ को लेकर कोई ज्यादा ध्यान नहीं देता है. डॉक्टर नौटियाल का कहना है कि हमें लीवर हेल्थ को लेकर ध्यान देने की बेहद जरूरत है. उन्होंने कहा कि एक स्वस्थ शरीर के लिए एक हेल्दी लीवर का होना बेहद जरूरी है. इसके लिए हमारा खान-पान पूरी तरह से जिम्मेदार है. उन्होंने कहा कि हमें नित्य व्यायाम के साथ-साथ अपने लीवर के अनुकूल भोजन करना चाहिए. लीवर पर प्रतिकूल असर डालने वाले खाद्य पदार्थों से दूर रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में अल्कोहल का कंजप्शन ज्यादा मात्रा में किया जाता है. वहीं इसके अलावा घी, तेल इत्यादि भी लीवर के लिए नुकसानदेह साबित होते हैं, जिसको लेकर हमें ध्यान देने की जरूरत है.