देहरादून:उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 का बिगुल बज चुका है. उत्तराखंड में 14 फरवरी को मतदान है. पार्टियां लोक लुभावन घोषणाएं कर रही हैं. कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में महिलाओं को लुभाने का प्रयास किया है.देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस का आधी आबादी पर अपना अलग मापदंड है. उत्तर प्रदेश के लिए प्रियंका गांधी 40% महिलाओं की हिस्सेदारी प्रत्याशी के तौर पर रखने का दावा कर चुकी हैं. इससे उत्तराखंड में भी महिलाओं की उम्मीद बढ़ गई है. हालांकि आधी आबादी को लेकर 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' का फॉर्मूला यूपी में चलाने वाली कांग्रेस उत्तराखंड में इस मामले पर कुछ अलग रणनीति चलाती दिख रही है.
क्या कांग्रेस से 40 फीसदी महिलाओं को टिकट मिलेगा? : कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी के 40 फीसदी महिलाओं को टिकट देने के ऐलान से उत्तर प्रदेश में आधी आबादी की बांछें खिल गई हैं. लेकिन यूपी में महिलाओं के चेहरों को मुस्कान देने वाली यह घोषणा उत्तराखंड की महिला कांग्रेसियों के लिए महज एक उम्मीद से ज्यादा कुछ नहीं. स्थिति यह है कि उत्तराखंड में प्रदेश महिला कांग्रेस की अध्यक्ष का ही टिकट खतरे में दिखाई दे रहा है. यही नहीं 2017 में जिन महिला प्रत्याशियों को टिकट दिया गया था, उनके टिकट पर भी संकट साफ महसूस किया जा सकता है. सबसे पहले जानिए कि 2017 में उत्तराखंड कांग्रेस ने टिकट को लेकर महिलाओं को कितनी तवज्जो दी और क्यों इस बार उन विधानसभा सीटों पर महिलाओं के टिकट कटने का अंदेशा है.
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उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में 8 महिलाओं को टिकट: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2017 में कांग्रेस ने 8 महिलाओं को टिकट दिया था. हालांकि इनमें से सिर्फ दो महिलाएं ही विधानसभा चुनाव जीत पाईं. इस तरह 2017 में कांग्रेस की ओर से सिर्फ दो महिलाएं विधायक बन सकीं. कांग्रेस ने रुद्रप्रयाग, मसूरी, सितारगंज, बाजपुर, भगवानपुर, सल्ट, नैनीताल और हल्द्वानी विधानसभा सीट से महिलाओं को प्रत्याशी बनाया था प्रत्याशी.
उत्तराखंड में कांग्रेस की चुनाव जीतने वाली महिलाएं:कांग्रेस ने 8 सीटों पर महिला प्रत्याशियों को टिकट तो दिए लेकिन जीत सिर्फ दो सीटों पर ही मिली. कांग्रेस की दिग्गज नेता रहीं इंदिरा हृदयेश ने अपनी पारंपरिक सीट हल्द्वानी से जीत हासिल की. इंदिरा हृदयेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनीं. उधर हरिद्वार जिले की भगवानपुर सीट से ममता राकेश चुनाव जीतीं थीं. कांग्रेस की हल्द्वानी सीट जो जीत पक्की करती थी उस पर इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद उनके बेटे सुमित हृदयेश को भी चुनौती मिल रही है.
नैनीताल विधानसभा सीट से सरिता आर्य के टिकट पर संकट: उधर नैनीताल सीट से सरिता आर्य ने कांग्रेस से टिकट मांगा है. लेकिन कम उम्मीद है कि सरिता आर्य को टिकट मिल पाएगा. यहां यशपाल आर्य ने अपने बेटे संजीव आर्य के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा है. बेटे के टिकट की खातिर वो बीजेपी सरकार से कैबिनेट मंत्री का पद छोड़कर कांग्रेस में वापस आ गए. ऐसे में कांग्रेस की महिला उम्मीदवार सरिता आर्य को निराशा हाथ लग सकती है. दिलचस्प बात ये है कि पिछली बार जब यशपाल आर्य और संजीव दोनों पिता पुत्र कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में चले गए थे तो नैनीताल सीट से सरिता आर्य कांग्रेस की प्रत्याशी थीं.
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