देहरादून:राष्ट्रपति भवन में नरेंद्र मोदी जब लगातार दूसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे तो प्रदेशवासियों की निगाहें भी उनके मंत्रिमंडल पर होगी. यूं तो उत्तराखंड में महज 5 सीटें हैं, लेकिन इतिहास बताता है कि पहली लोकसभा से लेकर अब तक के केंद्रीय मंत्रिमंडल में उत्तराखंड को खासी तवज्जो मिलती रही है. इस खास रिपोर्ट में पढ़िए, उत्तराखंड से कौन से वो चेहरे हैं जो मोदी मंत्रिमंडल में शामिल हो सकते हैं और केंद्र की राजनीति में उत्तराखंड की अब तक क्या भूमिका रही है.
उत्तराखंड एक छोटा प्रदेश होने के बावजूद केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह बनाने के लिए खास उम्मीदें पाले हुए हैं. देश का राजनीतिक इतिहास उत्तराखंडवासियों की इस उम्मीद को बल भी देता है. लेकिन सवाल ये है कि 5 सीटों में वह कौन सा चेहरा है, जिसे मोदी मंत्रिमंडल में तवज्जो मिलेगी. वैसे कहा जा रहा है कि उत्तराखंड में मुख्यमंत्री गढ़वाल से होने के चलते केंद्रीय मंत्रिमंडल में कुमांऊ के किसी सांसद को ही जगह देने की तैयारी की जा रही है. लेकिन एक-एक कर फिर समझिए सभी चेहरों की खासियत और मंत्रिमंडल में शामिल होने की उनकी प्रबल दावेदारी.
मोदी मंत्रिमंडल में सबसे ज्यादा प्रबल दावेदारी नैनीताल लोकसभा सीट से जीतकर आए अजय भट्ट की है. अजय भट्ट उत्तराखंड भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष हैं और उनके नेतृत्व में ही उत्तराखंड में भाजपा ने भारी बहुमत हासिल कर 70 में से 57 विधानसभा सीटें जीती थी. केंद्रीय नेताओं में मजबूत पकड़ होने के साथ अजय भट्ट की संगठन में भी जबरदस्त पकड़ है. इसके अलावा उन्होंने सबसे ज्यादा वोटों से अपने सबसे मजबूत प्रतिद्वंदी पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को पटखनी दी है.
अल्मोड़ा सीट की बात करें तो इस सीट से जीतकर आने वाले अजय टम्टा एक बार फिर सांसद बन सकते हैं. अजय टम्टा अनुसूचित जाति से आते हैं और वह 2014 की मोदी सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान केंद्रीय राज्य मंत्री रह चुके हैं. ऐसे में अजय टम्टा को भी मोदी कैबिनेट में जगह पाने वाले दावेदारों में देखा जा रहा है.
केंद्रीय मंत्रिमंडल में तीसरा सबसे मजबूत चेहरा हरिद्वार से सांसद चुनकर आए पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक का है. डॉ निशंक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं और प्रदेश में उनकी एक तेज-तर्रार नेता के रूप में छवि रही है. निशंक को एक अनुभवी नेता के तौर पर मोदी मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है. हालांकि 2014 के मोदी मंत्रिमंडल में उन को नकार कर अजय टम्टा को जगह दी गई थी.