देहरादून:उत्तराखंड में साल 2018 में हुए इन्वेस्टर्स समिट से राज्य को कुछ खास फायदा तो नहीं मिला, लेकिन अब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक बार फिर उत्तराखंड में निवेश बढ़ाने की घोषणा की है. इसके लिए सरकार उद्योगपतियों के साथ ही उद्योग जगत से जुड़े लोगों से बातचीत करने जा रही है. मुख्यमंत्री माहौल तैयार करने की बात कह रहे हैं. लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि अगले 2 महीने में इन्वेस्टर समिट हुए 3 साल का वक्त पूरा हो जाएगा. इस दौरान उत्तराखंड में करीब 15.56 हजार करोड़ का इन्वेस्टमेंट ही आ पाया है. ऐसे में एक बड़ा सवाल खड़ा होता है कि आखिर आगामी कुछ महीने में उत्तराखंड सरकार कैसे प्रदेश में निवेश को बढ़ा पाएगी? आखिर क्या था इन्वेस्टर्स समिट ? समिट के लिए कितना खर्च किया गया ? समिट के दौरान कितने का एमओयू हुए ? देखिए इस रिपोर्ट में.
उत्तराखंड के तमाम सेक्टरों में निवेश के लिए साल 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया था. इस इन्वेस्टर्स समिट में मुख्य रूप से ऊर्जा, पर्यटन, अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर, बायोटेक्नोलॉजी, कृषि एवं बागवानी, विनिर्माण उद्योग, आईटी, हेल्थ केयर और आयुष वेलनेस सेक्टर को शामिल किया गया था. क्योंकि, इन सेक्टर्स में निवेश की काफी संभावनाएं हैं. हालांकि, उस दौरान उम्मीद की जा रही थी कि करीब 80 हजार करोड़ तक निवेश पर एमओयू साइन हो जाएगा. खास बात यह रही कि उत्तराखंड में निवेश करने के लिए निवेशकों ने काफी रुचि दिखाई थी. नतीजा यह रहा कि इन्वेस्टर्स समिट के बाद करीब 1.25 लाख करोड़ के प्रस्तावों पर एमओयू साइन हुए.
PM मोदी ने किया था समिट का उद्घाटन:इन्वेस्टर्स समिट के लिए राजधानी देहरादून के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम में तमाम सेक्टरों की प्रदर्शनी लगाई गई थी. इसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. कई देशों के राजदूत भी इस समिट में शामिल हुए थे. इन सबके अतिरिक्त कई देशों के उद्योगपतियों समेत उद्योग से जुड़े तमाम व्यापारी भी शामिल हुए थे.
कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात का जिक्र किया था कि उत्तराखंड में तमाम संभावनाएं हैं. इन संभावनाओं को अवसर में बदलने के लिए प्रदेश की त्रिवेंद्र सरकार भरसक प्रयास कर रही है. इसी लिए इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया गया है. इस दौरान प्रधानमंत्री ने यह भी उम्मीद जताई थी कि जिस तरह से लोगों ने भरोसा जताया है, उसी भरोसे के तहत जल्द से जल्द निवेश धरातल पर उतरे ताकि उत्तराखंड के युवाओं को रोजगार उपलब्ध हो सके.
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इन्वेस्टर समिट के लिए सरकार ने खर्च किए करोड़ों रुपए:7 अक्टूबर 2018 को हुई इन्वेस्टर्स समिट के आयोजन को लेकर तत्कालीन राज्य सरकार 3 महीने पहले से ही तैयारियों में जुट गई थी. एक सप्ताह के भीतर सरकार ने नई नीतियां बनाने के साथ ही निवेशकों के अनुरूप पुरानी नीतियों में संशोधन किया था. समिट के लिए खुद तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देश में स्थित बड़े महानगरों में रोड शो के जरिए उत्तराखण्ड में निवेशकों को समिट में आने का भी न्योता दिया था.
तत्कालीन मुख्यमंत्री के साथ एक प्रतिनिधिमंडल ने विदेशी इन्वेस्टर्स को लुभाने के लिए कई देशों का दौरा भी किया था. यही नहीं, इन्वेस्टर्स समिट को सफल बनाने के लिए उत्तराखंड सरकार ने बड़े स्तर पर विज्ञापन का सहारा लिया था. तब जाकर रायपुर स्टेडियम में एक भव्य दो दिवसीय इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया गया था. समिट में हजारों लोगों ने प्रतिभाग किया. लिहाजा इस इन्वेस्टर समिट को कराने में करोड़ों रुपए का खर्च आया.
करीब 1.25 लाख करोड़ के प्रस्ताव पर हुए थे एमओयू:उत्तराखंड में आयोजित इन्वेस्टर्स समिट में ना सिर्फ बढ़-चढ़कर उद्योगपतियों ने हिस्सा लिया, बल्कि उत्तराखंड में निवेश करने के लिए उद्योगपतियों ने इच्छा जाहिर की थी. इस कारण उम्मीद से ज्यादा यानी करीब 1.25 लाख करोड़ रुपए के प्रस्ताव पर एमओयू साइन किए गए. इसमें ऊर्जा के क्षेत्र में 40707.24 करोड़, पर्यटन के क्षेत्र में 15362.72 करोड़, अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में 14286.69 करोड़, बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में 125 करोड़, कृषि एवं बागवानी के क्षेत्र में 96.5 करोड़, विनिर्माण उद्योग के क्षेत्र में 17191 करोड़, आईटी के क्षेत्र में 4628 करोड़, हेल्थ केयर के क्षेत्र में 16890 करोड़ और आयुष वेलनेस के क्षेत्र में 1751.55 करोड़ रुपये के प्रस्ताव पर एमओयू साइन किये गये. यानी, इस इन्वेस्टर्स समिट के बदौलत 673 निवेश प्रस्तावों पर एमओयू हुए.
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