देहरादून:कोरोना वायरस ने हमारे आस-पास मौजूद हर एक तंत्र पर असर डाला है. जहां कोरोना और लॉकडाउन के कारण देश की आर्थिकी को खासा नुकसान हुआ है, वहीं कई ऐसे क्षेत्र भी हैं, जहां इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले हैं. पर्यावरण और पानी ये ऐसी ही दो चीजें हैं, जिनका लॉकडाउन के बाद स्वरुप बदला है. बात अगर उत्तराखंड की करें तो यहां भी लॉकडाउन के बाद पेयजल व्यवस्था के हालात बदले हैं. लॉकडाउन ने उत्तराखंड की पेयजल व्यवस्था को बेहतर बना दिया है, वहीं एक तबका ऐसा भी है जिसको लॉकडाउन और कोरोना के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
उत्तराखंड में लचर व्यवस्था के चलते आलोचनाओं में रहने वाली पेयजल व्यवस्था के हालात लॉकडाउन में बदल गये हैं. लॉकडाउन ने उत्तराखंड की पेयजल व्यवस्था को बेहतर बना दिया है. बेहतरी की तस्दीक विभागीय आंकड़े भी कर रहे हैं. उत्तराखंड जल संस्थान से मिली जानकारी के अनुसार इन दिनों जहां विभाग पर पेयजल आपूर्ति के लिए दबाव बना रहा करता था, वहीं कोरोना काल में स्थिति बिल्कुल सामान्य और नियंत्रण में है.
प्रदेश में चल रही सभी 4,285 पेयजल से हो रही बेहतर आपूर्ति
उत्तराखंड जल संस्थान के महाप्रबंधक ने बताया कि प्रदेश में मौजूदा समय में 4,285 वाटर सप्लाई स्कीम चला रही हैं. उत्तराखंड जल संस्थान बखूबी इन सभी को ऑपरेट करते हुए मेंटेनेंस भी कर रहा है. इनमें से 92 योजनाएं शहरी क्षेत्र और बाकी की ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित हो रही हैं.
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गर्मियों से पहले जलापूर्ति की तैयारी
जल संस्थान के महाप्रबंधक एसके शर्मा ने बताया कि जल संस्थान गर्मियों से पहले ही जलापूर्ति की तैयारी कर लेता है. इसके लिए सभी योजनाओं के लिए कार्ययोजना बनाई जाती है. जिसके तहत उन इलाकों, गांवों और मोहल्लों को चिन्हित किया जाता है. जहां पर पिछले ट्रेंड्स को देखते हुए पेयजल किल्लत की संभावनाएं नजर आती हैं. इनमें से ज्यादातर क्षेत्र ऐसे होते हैं, जहां पेयजल लाइनें क्षतिग्रस्त होती हैं. ऐसी जगहों पर टैंकरों के माध्यम से जलापूर्ति की जाती है.
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टैंकरों से जल आपूर्ति की स्थिति
जल संस्थान से मिली जानकारी के अनुसार विभाग के पास 68 वाटर टैंकर हैं. इसके अतिरिक्त गर्मियों के मौसम में तकरीबन 200 अतिरिक्त निजी टैंकरों की व्यवस्था जल संस्थान द्वारा की जाती है. इन टैंकरों के संचालन की दर जिलास्तर पर विभागीय अधिकारी और जिलाधिकारियों के माध्यम से आवश्यकता अनुसार तय की जाती है. मौजूदा समय में 51 योजनाओं के तहत टैंकरों के माध्यम से जलापूर्ति की जा रही है. जिसमें 111 मोहल्लों और 101 ग्रमीण बस्तियों में टैंकरों का संचालन किया जा रहा है.