देहरादून: उत्तराखंड के चंपावत में मंगलवार को हुए उपचुनाव के मतदान में कांग्रेस हथियार डालते हुए दिखाई दी. सुबह से शाम तक ना तो चंपावत और ना ही आसपास के इलाके में कांग्रेस में उत्साह दिखा. ना ही उत्साह बढ़ाने के लिए कोई नेता वहां पर मौजूद था. अकेली निर्मल गहतोड़ी ही कुछ एक बूथ पर घूमती दिखाई दीं. जिसके बाद सवाल खड़े हो गए कि क्या निर्मला गहतोड़ी को भंवर में फंसा कर कांग्रेस के सारे नेता देहरादून लौट गए.
कांग्रेस का चुनाव मैनेजमेंट गायब: किसी भी नेता का प्रत्याशी बनना आसान हो सकता है. किसी भी नेता का चुनाव लड़ना आसान हो सकता है. लेकिन चुनावी मैनेजमेंट जो बेहतर तरीके से कर ले, उसे ही राजनीति में माहिर नेता कहते हैं. लेकिन उत्तराखंड के चंपावत में हुए उपचुनावों में ना तो प्रचार में कांग्रेस कहीं दिखाई दी और ना ही मतदान वाले दिन कांग्रेस की तरफ से ऐसा लगा कि वह चुनाव लड़ रही है.
103 जगह कांग्रेस के बस्ते ही नहीं थे: हैरानी की बात यह है कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी जगह-जगह पर लोगों के साथ दिखाई दे रहे थे. बूथों पर खड़े लोगों से बात कर रहे थे. लेकिन कांग्रेसी कहीं दिखाई नहीं दे रहे थे. इस बात का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि 151 बूथ में से 103 जगह पर कांग्रेस के बस्ते ही नहीं लगे थे. यानी वह बस्ते जो वोटरों को उनके नाम की पर्ची निकाल कर देते हैं. आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि कांग्रेस ने किस तरह से चंपावत चुनाव में शुरुआती दिन से हथियार डाल दिए थे.
मतदाताओं को ढूंढे नहीं मिले कांग्रेस के नेता: चंपावत की तस्वीर मंगलवार को मतदान के दिन ऐसी थी कि कांग्रेस के खुद के वोटर मतदान स्थल के बाहर उन लोगों को ढूंढ रहे थे जो कांग्रेस का डंडा हमेशा से उठाए रहते थे. स्थानीय लोग इस बात को देखकर हैरान थे कि आखिरकार कांग्रेस ने क्यों गंभीरता से चुनाव नहीं लड़ा. क्यों कांग्रेस के तमाम नेता अंतिम समय पर निर्मला को छोड़ कर के अन्य जगहों पर लौट गए. जबकि मुख्यमंत्री और उनका परिवार सहित बीजेपी के कई बड़े नेता आज पूरा दिन चंपावत के अलग-अलग जगहों पर तैनात रहे. सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या जानबूझकर कांग्रेस ने इस चुनाव को हल्के में लिया या फिर कांग्रेस के नेता ही एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ रहे हैं.