देहरादून:उत्तराखंड कांग्रेस इन दिनों अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है तो पार्टी में कलह भी चरम पर है. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 का परिणाम आने से पहले तक पार्टी खुद को सत्ता में आते देख रही थी. हरीश रावत गाहे-बगाहे खुद को मुख्यमंत्री के रूप में पेश कर रहे थे. कोई दिन ऐसा नहीं बीत रहा था जब हरीश रावत सोशल मीडिया पर भविष्य की योजना नहीं बता रहे हों. लेकिन सब गुड़-गोबर हो गया. कांग्रेस के नेता इसके लिए पार्टी के प्रभारी देवेंद्र यादव को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं.
10 मार्च को टूटा था कांग्रेस का सपना: 10 मार्च को उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 का परिणाम आया तो तब से उत्तराखंड कांग्रेस के नेता गहरे सदमे में हैं. पार्टी का सत्ता में आने का सपना टूटा तो नेताओं की कलह भी सतह पर आ गई. आरोप-प्रत्यारोपों की झड़ी लग गई. इधर इस सिर-फुटव्वल के बीच अब उत्तराखंड कांग्रेस के नेताओं के निशाने पर देवेंद्र यादव आ गए हैं. कांग्रेसी उत्तराखंड में पार्टी के बेहद खराब प्रदर्शन के लिए देवेंद्र यादव को दोषी ठहरा रहे हैं.
कौन हैं देवेंद्र यादव: देवेंद्र यादव उत्तराखंड कांग्रेस के प्रभारी हैं. किसे टिकट मिलना है. किसे टिकट नहीं मिलना है. ये सब देवेंद्र यादव की टीम ने तय किया ऐसा कांग्रेस के नेता कह रहे हैं. इस कारण चुनाव में मिली करारी शिकस्त के लिए अब उत्तराखंड कांग्रेस के नेता देवेंद्र यादव को ही दोषी ठहरा रहे हैं.
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देवेंद्र यादव का बैकग्राउंड क्या है:दो बार विधायक रह चुके 49 वर्षीय देवेंद्र यादव दिल्ली के एक रईस परिवार से ताल्लुक रखते हैं. कारोबार और राजनीति दोनों में रुचि रखने वाले देवेंद्र यादव के पिता महेंद्र यादव भी कांग्रेस में रह चुके हैं. प्रधानजी के नाम से चर्चित रहे महेंद्र यादव के बेटे देवेंद्र यादव ने सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री ली है. करीब 20 साल पहले देवेंद्र यादव को संगठन में राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेदारी दी गई थी. देवेंद्र यादव ने 2002 में पहली बार पार्षद का चुनाव दिल्ली की समयपुर बादली सीट से लड़ा था और जीते थे. इसके बाद 2007 में भी वह पार्षद चुने गए थे
2014 में हार गए थे विधानसभा चुनाव: देवेंद्र यादव 2008 में विधानसभा चुनाव जीते. 2013 में जब कांग्रेस बुरी तरह हारी, तब भी देवेंद्र यादव उन 8 विधायकों में से एक थे, जो चुनाव जीते थे. हालांकि 2014 में अरविंद केजरीवाल के एक बार फिर से इस्तीफा दिए जाने के बाद चुनाव हुआ था. इस बार देवेंद्र यादव को हार का सामना करना पड़ा था. इसके बावजूद कांग्रेस में उनका कद लगातार बढ़ता रहा. 2017 में पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय सचिव बना दिया. उन्हें अविनाश पांडे के साथ लगाया गया, जो राजस्थान के प्रभारी महासचिव थे. राजस्थान में चुनाव अभियान संभालने वाली कांग्रेस की टीम का वह हिस्सा थे.
2019 में हार के बाद भी कांग्रेस ने दिया प्रमोशन:2019 में देवेंद्र यादव को कांग्रेस का कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. हालांकि उनकी लीडरशिप में पार्टी की बुरी स्थिति हुई और सभी लोकसभा सीटों पर कांग्रेस को बुरी हार झेलनी पड़ी थी. इतना सब होने के बावजूद देवेंद्र यादव को कांग्रेस ने उत्तराखंड का प्रभारी नियुक्त कर दिया.
देवेंद्र यादव पर क्या आरोप हैं:कांग्रेस के ज्यादातर नेता और कार्यकर्ता ये मान रहे हैं कि उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में हार देवेंद्र यादव के कारण मिली. नेताओं का आरोप है कि देवेंद्र यादव ने अपनी मनमानी से टिकट दिए. कुछ नेताओं ने टिकट वितरण में पैसे लेने का आरोप भी लगाया. उत्तराखंड के कांग्रेसी अपने प्रभारी देवेंद्र यादव पर पार्टी में गुटबाजी बढ़ाने का आरोप भी लगा रहे हैं. इसके साथ ही पार्टी संगठन में पद वितरण में भी कांग्रेस नेता देवेंद्र यादव की मनमानी बता रहे हैं.
हरीश धामी ने देवेंद्र यादव पर बोला हमला:धारचूला से कांग्रेस विधायक हरीश धामी ने देवेंद्र यादव पर जमकर भड़ास निकाली. उन्होंने कांग्रेस की बुरी हालत और गुटबाजी के लिए देवेंद्र यादव को ही जिम्मेदार ठहराया. हरीश धामी तो देवेंद्र यादव से इतने नाराज हैं कि वो ये कहने से भी नहीं चूके कि वो कांग्रेस में हैं लेकिन नहीं भी हैं. उन्होंने इसके लिए देवेंद्र यादव को कारण बताया.