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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री से की मुलाकात, रखी ये मांग

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि सूक्ष्म ऋण योजना के आधार पर राज्य में गठित समूहों द्वारा 65 प्रकार की आजीविका संवर्द्धन गतिविधियों का चयन किया गया है. समूहों की क्षमता विकास करते हुए उन्हें सतत आजीविका के साधन उपलब्ध कराये जाने हैं, इसके लिए इन समूहों को निरन्तर प्रशिक्षण की आवश्यकता है.

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मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री से की मुलाकात

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Published : Jan 17, 2020, 9:51 PM IST

देहरादून: शुक्रवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने उत्तराखंड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन को पूर्वोत्तर राज्यों की भांति विशेष पैकेज देने का अनुरोध किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके लिए बजट आवंटन में निर्धनता अनुपात के साथ ही पलायन की समस्या को भी आधार के रूप में लिया जाए.

केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा दीनदयाल अन्त्योदय योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अन्तर्गत योजना के प्रारम्भ से वर्तमान तक 13 जनपदों के 95 विकासखण्डों में कार्य किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए यूएसआरएलएम द्वारा स्वयं सहायता समूहों तथा उनके उच्च स्तरीय संगठनों का गठन कर लिया गया है. 16422 समूहों की सूक्ष्म ऋण योजना तैयार करते हुए उन्हें आजीविका गतिविधियों से जोड़ने के लिए समूहों को सीआईएफ एवं बैंक से लिंक कर ऋण उपलब्ध कराया गया है.

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मुख्यमंत्री ने बताया कि सूक्ष्म ऋण योजना के आधार पर राज्य में गठित समूहों द्वारा 65 प्रकार की आजीविका संवर्द्धन गतिविधियों का चयन किया गया है. समूहों की क्षमता विकास करते हुए उन्हें सतत आजीविका के साधन उपलब्ध कराये जाने हैं, जिसके लिए इन समूहों के निरन्तर प्रशिक्षण की आवश्यकता है. समूहों को वर्तमान में उत्तराखंड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन स्तर पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि वित्तीय संसाधनों की कमी के कारण सभी समूहों को प्रशिक्षण दिया जाना संभव नहीं हो पा रहा है. साथ ही महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा उत्पादित वस्तुओं के विपणन हेतु नौ पेकेजिंग यूनिट स्थापना, पैकेजिंग सामग्री, सरस विपणन केन्द्र में बुनियादी सुविधाओं का विकास, ग्रोथ सेन्टर में बुनियादी सुविधाओं का विकास, उत्पादों की डिजाइनिंग, ब्रांड डेवलेपमेंट एवं उत्पादों के प्रचार-प्रसार, उत्पाद बिक्री तथा मार्केट लिंकेज हेतू स्थानीय स्तर पर मेलों का आयोजन, क्रेता-विक्रेता सम्मेलन सहित विभिन्न क्रियाकलापों के संचालन के लिए अतिरिक्त धनराशि की आवश्यकता होती है.

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मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में मिशन के सफल संचालन के लिए सभी 95 विकास खण्डों में विभिन्न पदों पर कुल 407 पद सृजित किये गये हैं. जिसके सापेक्ष सभी पदों पर तैनाती नियमानुसार कर दी गई है. राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में सृजित 407 पदों के सापेक्ष मानदेय भुगतान हेतु प्रतिवर्ष लगभग 11 करोड़ रुपये की जरुरत होगी जोकि हर माह अनिवार्य होगी.

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मुख्यमंत्री ने कहा कि डे-एनआरएलएम (दीनदयाल अन्त्योदय योजना- राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन) के अन्तर्गत वित्तीय वर्ष 2019-20 में उत्तराखंड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के द्वारा विभिन्न घटकों में रूप में 9572.56 लाख की सैद्धान्तिक स्वीकृति प्रदान करते हुए 4095.52 लाख रुपए अवमुक्त करने की स्वीकृति प्रदान की गई है. जबकि कम्यूनिटी फंड, प्रशिक्षण, मार्केटिंग, मानव संसाधन आदि गतिविधियों में 6601 लाख रुपए की आवश्यकता होगी. इस प्रकार राज्य को प्रतिवर्ष कुल 10696.72 लाख धनराशि की आवश्यकता होगी.

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