देहरादून:उत्तराखंड अलग राज्य के रूप में 9 नवंबर 2000 को अस्तित्व में आया था. राज्य गठन के समय अंतरिम विधान सभा में 30 सदस्य थे. इसमें से 22 सदस्य उत्तर प्रदेश विधान सभा से तथा 8 सदस्य उत्तर प्रदेश विधान परिषद् से थे. उत्तराखण्ड विधान सभा की 70 सीटों के लिए प्रथम आम चुनाव फरवरी 2002 में हुए. एक सदस्य आंग्लभारतीय समुदाय से नामित किया गया. इस प्रकार विधान सभा की कुल सदस्य संख्या 71 हो गयी.
अंतरिम सरकार बीजेपी की बनी थी. पहले नित्यानंद स्वामी मुख्यमंत्री बने थे. फिर भगत सिंह कोश्यारी ने गद्दी संभाली थी. अंतरिम सरकार के बाद उत्तराखंड में अब तक चार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. पांचवें विधानसभा चुनाव की तैयारी है.
2002 में हुआ था पहला विधानसभा चुनाव: उत्तराखंड में पहला विधानसभा चुनाव 2002 में हुआ था. यानी राज्य स्थापना के करीब दो साल बाद. 2002 में पहला विधानसभा चुनाव 14 फरवरी को हुआ था.
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पहले चुनाव में पड़े थे करीब 55 फीसदी वोट: उत्तराखंड के पहले विधानसभा चुनाव 2002 में 54.34 फीसदी वोटिंग हुई थी. इस पहले चुनाव के लिए कुल 6,753 मतदान केंद्र बनाए गए थे. प्रत्याशियों की बात करें तो पहले चुनाव में कुल 927 प्रत्याशी मैदान में उतरे थे. इनमें 855 पुरुष और 72 महिला प्रत्याशी शामिल थीं. विजेता 70 प्रत्याशियों में 66 पुरुष थे जबकि 4 महिलाएं उत्तराखंड विधानसभा के पहले चुनाव में जीतकर विधानसभा पहुंची थीं.
2002 में कांग्रेस की सरकार बनी थी: उत्तराखंड के पहले विधानसभा चुनाव 2002 में कांग्रेस ने बाजी मारी थी. कांग्रेस को 70 में से 36 सीटों पर विजय मिली थी. अंतरिम सरकार चलाने वाली और राज्य बनाने का श्रेय लेने वाली बीजेपी को सिर्फ 19 सीटें मिली थीं. बसपा ने 7 सीटें हासिल की थीं. उत्तराखंड के एकमात्र क्षेत्रीय दल उत्तराखंड क्रांति दल को 4 सीटों पर विजय मिली थी. राकांपा ने 1 और निर्दलियों ने 3 सीटें जीती थीं.
नारायण दत्त तिवारी बने थे मुख्यमत्री:पहले चुनाव में कांग्रेस ने 36 सीटें जीतीं तो निर्दलियों के सहयोग से उनकी सरकार बन गई. नारायण दत्त तिवारी उत्तराखंड के पहले निर्वाचित मुख्यमत्री बने थे. यशपाल आर्य विधानसभा अध्यक्ष बने तो भगत सिंह कोश्यारी नेता प्रतिपक्ष के रोल में थे.
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2007 में हुआ था दूसरा विधानसभा चुनाव:उत्तराखंड में नारायण दत्त तिवारी के नेतृत्व वाली पहली चुनी गई सरकार ने 2007 में अपना कार्यकाल पूरा किया. इसके बाद चुनाव हुए.
21 फरवरी को हुए 2007 के विधानसभा चुनाव: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2007 भी फरवरी के महीने में हुए थे. 21 फरवरी 2007 को हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के हाथ से सत्ता फिसल गई थी. नारायण दत्त तिवारी कोई करिश्मा नहीं कर सके. उनकी सरकार पर अनेक आरोप लगे थे.
'नौ छमी नारैणा' गीत ने हिला दी थी तिवारी सरकार: उत्तराखंड के लोकप्रिय गायक नरेंद्र सिंह नेगी ने तो कुव्यवस्था पर कटाक्ष करते हुए 'नौ छमी नारैणा' गाना ही बना दिया था. उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2007 के कैंपेन में विपक्षी पार्टियों का ये सरकार को उखाड़ फेंकने वाला आह्वान गीत बन गया था. इस गीत में सीधे-सीधे नारायण दत्त तिवारी पर निशाना साधा गया था. राजनीतिक जानकार कहते हैं कि कांग्रेस और नारायण दत्त तिवारी की शिकस्त में नरेंद्र सिंह नेगी के इस गीत का बड़ा रोल था.
2007 के चुनाव में पड़े थे 63 फीसदी से ज्यादा वोट:उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2007 में 63.10 फीसदी वोटिंग हुई थी. हालांकि इस बार भी फरवरी का महीना होने के कारण कड़ाके की ठंड थी. पहाड़ी इलाकों में लगातार बर्फबारी भी हो रही थी. इसके बावजूद लोगों में नई सरकार चुनने की गर्मी थी. यही कारण था कि 2002 के मुकाबले 2007 में वोटिंग प्रतिशत 8 से ज्यादा बढ़ा था.
27 फरवरी 2007 को हुई थी मतगणना: 2007 की वोटिंग के एक हफ्ते बाद ही मतगणना भी हो गई थी. इस बार कुल वोटरों की संख्या 60 लाख 82 हजर 755 थी. इनमें 30 लाख 32 हजार 191 पुरुष और 29 लाख 68 हजार 351 महिला वोटर थीं. इस बार कुल 806 उम्मीदवारों ने विधानसभा पहुंचने के लिए अपनी किस्मत आजमाई थी. इनमें 750 पुरुष तो 56 महिला उम्मीदवार थीं.
2007 में बीजेपी ने मारा था मैदान: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2007 में बीजेपी ने मैदान मारा था. बीजेपी को 35 सीटों पर विजश्री हासिल हुई. कांग्रेस को सिर्फ 21 सीटें मिली थीं. बसपा ने इस बार 8 सीटें जीतकर उत्तराखंड में अपनी दमदार उपस्थिति का अहसास कराया था. यूकेडी सिर्फ 3 सीटें जीत सकी. 3 पर निर्दलीय विजयी रहे थे.
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भुवन चंद्र खंडूड़ी बने थे मुख्यमंत्री: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2007 में बीजेपी जीती तो सेना के अफसर रहे और कड़क मिजाज वाले भुवन चंद्र खंडूड़ी को मुख्यमंत्री बनाया गया. हरबंस कपूर ने विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली थी. अब के बीजेपी के कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत तब नेता प्रतिपक्ष थे. बीजेपी के शासनकाल में तीन बार मुख्यमंत्री बदले गए थे. पहले भुवन चंद्र खंडूड़ी को मुख्यमंत्री बनाया गया. फिर रमेश पोखरियाल निशंक ने गद्दी संभाली.
'अब कथगा खैल्यो' गीत ने कराई बीजेपी सरकार की किरकिरी: जब रमेश पोखरियाल निशंक मुख्यमंत्री बने तो कुछ समय बाद ही सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे थे. खुद निशंक के दामन पर भी लोगों ने दाग होने के आरोप लगाए. नरेंद्र सिंह नेगी ने इस बार भी भ्रष्टाचार के खिलाफ गीत लिखा और गाया. गीत के बोल थे 'अब कथगा खैल्यो' यानी 'और कितना खाएगा'?. बीजेपी हाईकमान ने चुनाव से पहले फिर से भुवन चंद्र खंडूड़ी को गद्दी पर बैठाया था. लेकिन गीत अपना काम कर चुका था. इस गीत ने अगले विधानसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. बीजेपी की सरकार चली गई.
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2012: उत्तराखंड का तीसरा विधानसभा चुनाव 2012 में हुआ था. इस बार भी चुनाव एक ही चरण में संपन्न हुए. 30 जनवरी 2012 को उत्तराखंड में वोटिंग हुई थी.
2012 के विधानसभा चुनाव में 67 फीसदी से ज्यादा वोट पड़े: उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2012 वोटिंग के लिहाज से पिछले दो चुनावों से भी अच्छा माना जाता है. इस बार राज्य की जनता ने पिछले रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 67 फीसदी से ज्यादा मतदान किया था.