नई दिल्ली/देहरादून: उत्तराखंड और हिमाचल में आयोजित धर्म संसद के दौरान दिए गए भड़काऊ भाषणों के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने दोनों राज्यों की सरकारों को फटकार लगाई है. साथ ही कोर्ट ने सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों की सूची बनाकर हलफनामा दायर करने के लिए कहा है. इस दौरान हिमाचल प्रदेश की ओर से पेश हुए वकील से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया. अगर उठाया तो उसकी जानकारी दें.
हिमाचल प्रदेश के ऊना में आयोजित धर्म संसद में नफरत भरे भाषण के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की शुरुआत में ही सुप्रीम कोर्ट में कपिल सिब्बल ने कहा कि ये पूरे देश में चल रहा है. जो बोला गया वह मैं अदालत में सार्वजनिक तौर पर नहीं बोल सकता हूं.
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाए गए थे क्या. साथ ही कोर्ट ने सवाल किया कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक दिशा-निर्देशों का अनुपालन राज्य सरकार ने किया या नहीं, इस पर हलफनामा दाखिल करें. इस मुद्दे पर जवाब देते हुए हिमाचल प्रदेश के वकील ने कहा कि हमारी ओर से नोटिस जारी किया गया था. ऊना में धर्म संसद खत्म हो चुकी है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप हरेक पहलू का उल्लेख करें कि क्या कदम उठाया गया.
उधर उत्तराखंड सरकार के वकील ने कहा कि हमें दो मिनट पक्ष रखने का मौका दिया जाए. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपको आगे की तारीख दी गई है. स्थिति रिपोर्ट पर विचार करेंगे. उत्तराखंड सरकार ने कहा कि हमने एफआईआर दर्ज करने समेत सभी कदम अदालत के फैसले के मुताबिक उठाए.
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार के वकील को फटकार लगाई और कहा कि- इस तरह से आप तर्क नहीं दे सकते हैं. आप संविधान से बंध हुए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल सरकार के गृह सचिव को धर्म संसद के मामले में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया. साथ ही कहा कि 9 मई को होने वाली अगली सुनवाई से पहले राज्य सरकार को धर्म संसद के दौरान हेट स्पीच के मामले पर उठाए गए कदम हलफनामे में अगली सुनवाई से पहले बताने होंगे.