देहरादून: गैरसैंण विधानसभा सत्र से पहले कांग्रेसी विधायकों का रुख विपक्ष के लिए ही चुनौती बन गया है. हालात ये हैं कि सदन के अंदर विपक्ष के दो गुटों में बंटने का अंदेशा लगाया जा रहा है. ये हाल तब है जब सदन में बमुश्किल कांग्रेस के विधायकों की संख्या दहाई के अंक तक पहुंच पाई है.
गैरसैंण विधानसभा सत्र से पहले खुद में उलझा विपक्ष यूं तो विधानसभा सत्र के दौरान विपक्ष हमेशा ही सत्ता दल के लिए चुनौती बना रहता है. इस दौरान सरकार को विपक्ष के सवालों के तीखे हमले झेलने पड़ते हैं, जोकि सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होते. मगर इस बार गैरसैंण सत्र से पहले फिलहाल विपक्ष खुद से ही जूझने को मजबूर है. विपक्षी विधायकों के मौजूदा हालात से लगता है कि कहीं सदन में खुद कांग्रेसी सरकार को वॉकओवर न दे दें.
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ऐसा इसलिए क्योंकि सदन के अंदर कांग्रेस के महज 11 विधायक हैं जिनमें भी कांग्रेस दो फाड़ दिखाई दे रही है. खुद विधानसभा में कांग्रेस के उप नेता प्रतिपक्ष मानते हैं कि सदन के अंदर 11 में से महज 4 या 5 विधायक ही सरकार को घेरने में परफॉर्म कर पाते हैं. यानी नेता प्रतिपक्ष इंदिरा हृदयेश और प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह समेत करीब कुल 6 विधायकों की कार्यशैली पर ही कांग्रेसी नेता सवाल खड़े कर रहे हैं.
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इतना ही नहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत भी सदन के अंदर कांग्रेसी विधायकों की परफॉर्मेंस को लेकर पहले ही सवाल खड़े कर चुके हैं. बता दें कि हाल ही में धारचुला विधायक हरीश धामी को कार्यकारिणी में छोटा पद दिए जाने को लेकर पार्टी के अंदर खासी गहमागहमी हुई थी. तब से लेकर पार्टी के अंदर की सियासत अब सदन के अंदर भी दिखाई देने लगी है, जोकि गैरसैंण सत्र के दौरान देखने को मिलेगी.