देहरादून: उत्तराखंड पुलिस में तबादलों को लेकर लगातार मारामारी देखने को मिल रही है. यहां पहाड़ों से उतरकर मैदानों में आने की चाहत अनुशासित बल के जवानों को भी नियमों से इतर जाने से नहीं रोक पा रही है.
शहरों में कानून, यातायात आदि व्यवस्था से लेकर पुलिस की भूमिका खासी अहम होती है, वहीं इंटेलिजेंस का भी इसमें अपना खास महत्व है. शायद यही कारण है कि इंटेलिजेंस में रखे जाने वाले कर्मियों को खासतौर पर परख कर चयनित किया जाता है. ऐसे में इंटेलिजेंस में तबादलों के दौरान किसी सिफारिश या पिक एंड चूज जैसी बातों के लिए कोई जगह नहीं होती.
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पुलिस विभाग और इंटेलिजेंस में तबादलों को लेकर जोर आजमाइश कुछ कम नहीं है. खासकर इंटेलिजेंस में आने के लिए तो नागरिक, पुलिस के जवान प्रक्रिया को भी दरकिनार कर सीधे इंटेलिजेंस मुख्यालय को ही ट्रांसफर के लिए आवेदन भेज रहे हैं. जबकि तय प्रक्रिया के तहत एसएसपी कार्यालय या पुलिस मुख्यालय को ही आवेदन भेजें जा सकते हैं.
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नागरिक पुलिस के इन कर्मियों के आवेदनों से खुद इंटेलिजेंस मुख्यालय भी परेशान है. शायद इसीलिए एसपी अभिसूचना निवेदिता कुकरेती ने जिलों के एसपी और एसएसपी को पत्र लिखकर कर्मियों द्वारा आवेदन भेजे जाने पर चिंता जाहिर की है. हालांकि डीजी अशोक कुमार इस मामले को सामान्य बताकर स्थितियों से मुंह मोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.
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मामले में चिंता की बात यह है कि हाल ही में पुलिस मुख्यालय स्तर पर 44 लोगों को चिह्नित कर इंटेलिजेंस मुख्यालय को इनके ट्रांसफर की लिस्ट सौंपी गई थी. 44 लोगों के चयन पर जब ईटीवी भारत ने अधिकारियों से सवाल किया तो पुलिस मुख्यालय समेत इंटेलिजेंस मुख्यालय तक ये मामला गरमा गया था. जिसके बाद एक बार फिर से जिलों से इंटेलिजेंस में जाने के लिए आवेदन मांगे गए हैं. हालांकि इससे पूर्व में अपनायी गयी तबादले की प्रक्रिया को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं.