उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / city

अधिकार दिलाने वाले के पास नहीं है कोई 'अधिकार', एक करोड़ से ज्यादा शिकायतें पेंडिंग

उत्तराखंड सरकार ने सेवा के अधिकार आयोग को लाचार बना दिया है. हालत यह है कि आयोग जन शिकायतों को लेकर उनकी सुनवाई तो कर सकता है, लेकिन लापरवाही करने वाले अधिकारियों पर अर्थदंड तक नहीं लगा सकता है.

अधिकार दिलाने वाले के पास नहीं है कोई 'अधिकार'.

By

Published : Jul 17, 2019, 5:31 PM IST

देहरादून: प्रदेश के लोगों को आज भी सरकारी सेवाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. हालांकि इसके लिए सेवा के अधिकार आयोग की स्थापना तो की गई लेकिन नतीजा सिफर ही निकला. अधिकारियों की हिलाहवाली के चलते आज तक प्रदेश के लोग अपने अधिकारों से वंचित हैं. सेवा के अधिकार आयोग को लापरवाह अधिकारियों पर अर्थदंड लगाने तक का अधिकार नहीं दिया गया है. जिसके कारण अधिकारी जनता की शिकायतों को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. जबकि आयोग के पास अब तक एक करोड़ से ज्यादा शिकायतें पहुंच चुकी हैं.

अधिकार दिलाने वाले के पास नहीं है कोई 'अधिकार'.

उत्तराखंड सरकार ने सेवा के अधिकार आयोग को लाचार बना दिया है. हालत यह है कि आयोग जन शिकायतों को लेकर उनकी सुनवाई तो कर सकता है, लेकिन लापरवाही करने वाले अधिकारियों पर अर्थदंड तक नहीं लगा सकता है. बता दें कि आम व्यक्ति को सरकारी विभागों में चक्कर न काटने पड़े इसके लिए हर सेवा के लिए एक निश्चित समय दिया गया है. जिसमें आम लोगों के काम को पूरा किया जाना तय किया गया है. लेकिन उस निश्चित समय में आम व्यक्ति का काम न होने पर आयोग इसकी सुनवाई करता है.

खास बात यह है कि सेवा का अधिकार आयोग स्थापित होने के बाद अब तक यहां एक करोड़ से ज्यादा शिकायतें आ चुकी हैं, लेकिन आयोग के पास अधिकार न होने के कारण लापरवाह अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं हो पा रही है. जिससे सेवा के अधिकार आयोग का महत्व ही खत्म हो रहा है. आयोग के मुख्य आयुक्त आलोक कुमार जैन की मानें तो एक तरफ जिलाधिकारी स्तर के अधिकारियों को 5000 तक का जुर्माना लगाने का अधिकार दिया गया है तो दूसरी तरफ आयोग को ऐसा कोई अधिकार नहीं दिया गया है.
बता दें कि आयोग के पास प्रदेश भर से समय से सरकारी सेवाएं न मिलने के कारण बड़ी संख्या में शिकायतें मिल रही हैं. जिसके लिए आयोग अधिकारियों को भी दिशा-निर्देश जारी करता रहा है. लेकिन आयोग के पास अधिकार न होने के कारण अधिकारियों आयोग को ठेंगा दिखाते हुए मनमर्जी करने में लगे हैं. जिसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details