देहरादून:उत्तराखंड में कल से पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का चुनाव नहीं लड़ने का फैसला चर्चा का विषय बना हुआ है. एक तरफ उत्तराखंड में हरक सिंह रावत और यशपाल आर्य जैसे दिग्गज टिकट के लिए आसमान सिर पर उठाए हुए हैं, ऐसे में चार साल तक उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार चलाने वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चुनाव लड़ने से ही मना कर दिया. हर कोई जानना चाहता है कि इसके पीछे कारण क्या है.
डोईवाला से तीन बार चुनाव जीते हैं त्रिवेंद्र: उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत डोईवाला विधानसभा सीट से तीन बार चुनाव जीते हैं. इस बार भी उनकी चुनाव लड़ने की तैयारी जोर-शोर से चल रही थी. इसी बीच खबरें उड़ीं कि बीजेपी कई पूर्व विधायकों के टिकट काट सकती है. ये खबर भी उड़ी कि बीजेपी डोईवाला सीट पर नया चेहरा तलाश रही है. अपनी शर्तों पर चार साल तक उत्तराखंड में बीजेपी की सरकार चलाने वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत को शायद नया उम्मीदवार वाली हलचल विचलित कर गई. यही कारण रहा कि बाद की फजीहत से बचने के लिए त्रिवेंद्र सिंह रावत ने पहले ही पार्टी के लिए भी रास्ता साफ कर दिया.
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बीजेपी ने अभी घोषित नहीं किए हैं प्रत्याशी:बीजेपी और कांग्रेस ने अभी तक उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 के लिए प्रत्याशियों की घोषणा नहीं की है. इसी बीच हरक सिंह रावत को बीजेपी से निष्कासित करने की घटना हो गयी. हरक को निष्कासित करने से बीजेपी हाईकमान के सख्त होने का तगड़ा मैसेज गया है.
क्या त्रिवेंद्र को था टिकट कटने का डर ? : एक तरफ सीएम धामी खुद कह रहे थे कि वो अपनी सीट खटीमा से चुनाव लड़ेंगे. दूसरी तरफ बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक भी हरिद्वार से चुनाव लड़ने को लेकर आश्वस्त हैं. इधर पूर्व मुख्यमत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की सीट को लेकर बीजेपी में अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ था. जबकि त्रिवेंद्र सिंह रावत जोर-शोर से चुनाव की तैयारी में लगे थे. इसी बीच पार्टी सूत्रों से मीडिया में यह खबरें आने लगीं कि बीजेपी डोईवाला में प्रत्याशी के रूप में नया चेहरा तलाश रही है. राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि संभव हो इसी नाराजगी की वजह से त्रिवेंद्र सिंह रावत ने चुनाव नहीं लड़ने का फैसला ले लिया हो. इसके लिए चिट्ठी लिखकर जेपी नड्डा को भेज दी हो.
एक झटके में गई सीएम की कुर्सी तो टिकट भी कट सकता है:2017 में उत्तराखंड में 57 विधानसभा सीटों के साथ बीजेपी को जबरदस्त बहुमत मिला था. पार्टी ने त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया था. त्रिवेंद्र ने चार साल बड़ी ही दबंगई से सरकार चलाई थी. उनके समय में कहा जाता था कि वो 'वन मैन आर्मी' की तरह सरकार चला रहे हैं. कई बार विधायकों ने केंद्रीय नेतृत्व से त्रिवेंद्र सिंह रावत की शिकायत भी की थी. लेकिन त्रिवेंद्र अपनी मनमर्जी से सरकार चलाते रहे थे. त्रिवेंद्र का ऐसा रौब था कि हरक सिंह रावत जैसा दबंग कैबिनेट मंत्री भी चुप रहता था. लेकिन बीजेपी आलाकमान ने बीच विधानसभा सत्र में त्रिवेंद्र को मुख्यमंत्री पद से हटा दिया था. ऐसे में त्रिवेंद्र सिंह रावत को लगा होगा कि जब मुझे एक झटके में सीएम के पद से हटाया जा सकता है तो टिकट भी कट सकता है.