देहरादून: रेलवे स्टेशन से सटे मसूरी रोडवेज बस स्टैंड को रेलवे विभाग ने पत्र जारी कर बस स्टैंड की जगह खाली करने का अल्टीमेटम दिया है. साल 1957 के बाद रेलवे की जमीन पर संचालित होने वाले मसूरी बस अड्डे की जमीन का किराया भुगतान न होने के कारण रेलवे विभाग ने ये कदम उठाया है. रेलवे विभाग ने आगामी 31 जुलाई तक बस स्टैंड की जगह खाली करने की चेतावनी दी है. इतना ही नहीं, रेलवे ने अगले 12 दिनों के अंदर जगह न खाली होने की दशा में बस स्टैंड की जगह को मजबूरन खाली कराने की बात भी कही है. वहीं इस मामले पर अब भी परिवहन विभाग आंखें मूंदें बैठा है.
बता दें कि रेलवे स्टेशन से सटे मसूरी बस स्टैंड से हर दिन 95 पर्वतीय क्षेत्रों में बसे संचालित की जाती हैं, जिसमें से 18 बसें मसूरी के लिए संचालित की जाती है. जहां से देश-विदेश से आने वाले पर्यटक मसूरी पहुंचते हैं. इसी बस स्टैंड से राज्य के पर्वतीय मार्गों पर बसों का प्रतिदिन सुबह 4 से 8 बजे तक संचालन किया जाता है. मसूरी बस स्टैंड बंद होने से पहले ही घाटे में चल रहा परिवहन विभाग को एक और बड़ा झटका लग सकता है.
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वर्ष 1957 से रेलवे की जमीन का नहीं हो सका है भुगतान
उत्तर रेलवे मंडल के सहायक अभियंता द्वारा जारी किए चेतावनी वाले पत्र में साफतौर पर कहा गया है कि परिवहन विभाग मसूरी बस स्टैंड की जमीन का वर्षों से बकाया किराया 53 लाख 36 हजार 668 रुपये का जल्द भुगतान करे. इसके अलावा रेलवे ने अपनी जमीन पर संचालित होने वाले बस स्टैंड से मसूरी सहित राज्य के पर्वतीय मार्गों पर जाने वाली बसों को पार्क न करने की भी चेतावनी दी है. रेलवे का आरोप है कि उनकी जमीन पर संचालित होने वाले बस स्टैंड का किराया दशकों से लंबित पड़ा है. कई बार इस मामले में पत्राचार करने के बावजूद परिवहन विभाग ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया.
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भुगतान के लिए लापरवाह परिवहन विभाग
जानकारी के मुताबिक, साल 1957 में देहरादून रेलवे स्टेशन की जमीन पर मसूरी बस स्टैंड का संचालन हो रहा है. उस समय परिवहन विभाग ने रेलवे की इस जमीन का 99 वर्ष का लीज एग्रीमेंट बनाया था. जिसमें हर साल ₹465 का किराया तय किया गया था. हालांकि, एग्रीमेंट के अनुसार हर 3 साल में किराया बढ़ोतरी की बात भी तय थी. लेकिन लीज एग्रीमेंट बनने के बाद से न तो किराया दिया गया और न ही एग्रीमेंट को रिन्यू करवाया गया.