देहरादून:उत्तराखंड विधानसभा का बजट सत्र 11 फरवरी से प्रस्तावित है. वहीं बजट पर प्रदेश की जनता नजर बनाये हुए है. जिससे लोगों को काफी उम्मीदें भी है. वहीं बजट को लेकर जनता जनार्दन क्या सोच रही है. इसके बारे में हम आपकों उन्हीं की जुबानी सुनाएंगे. साथ ही बजट के प्रति उनकी क्या राय है और सरकार से क्या उम्मीदें लगाये बैठे हैं.
ईटीवी संवाददाता धीरज सजवाण ने राजधानी के पलटन बाजार का रुख किया. जो राजधानी का सबसे व्यस्त बाजार में से एक हैं. जहां दिन भर लोगों की अच्छी खासी भीड़ रहती है. साथ ही उन्होंने बजट को लेकर हर वर्ग के लोगों का मन टटोलने की कोशिश की. वहीं स्थानीय निवासी रमाशंकर का कहना है कि उत्तराखड की सबसे बड़ी समस्या पलायन है और सरकार की प्राथमिकता से पहाड़ों पर रोजगार सृजन के लिए धन आवंटन करना चाहिये. वहीं पिछले बजट में होम स्टे के बारे में कहा कि नियमों के हिसाब के कार्य नहीं हो रहा है. अगर सही तरीके से कार्य हुआ होता तो एक बेहतर पहल मानी जाती.
वहीं एमए की छात्रा कोमल ने कहा कि छात्रों का आधा जीवन नौकरी के आवेदन भरने में निकल जाता है लेकिन उसके बावजूद भी कुछ हासिल नहीं होता. सरकारी नियुक्तियों नहीं होने कि वजह से आज प्राइवेट सेक्टर में युवाओं को धक्के खाने पड़ते हैं. वहीं अनारवाला की रहने वाली विमला देवी ने बताया कि हाल ही में केन्द्र सरकार का जो बजट आया है वो साफ तौर से चुनावी और लोकलुभावन बजट था. अब राज्य सरकार से अनुरोध है कि वो कम से कम इस बढ़ती महंगाई से आदमी को निजात दिलाये.
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व्यापारी सुशील कपूर का कहना है कि उनका पूरा जीवन पलटन बाजार में व्यापार करते बीता है और सरकारों का बजट सीधे तौर से व्यापारियों पर असर डालता है. सुशील कपूर ने बताया कि हाल ही में केंद्र के बजट ने टैक्स में छोटे व्यापारियों को रियायत देकर एक अच्छा फैसला लिया है तो अब राज्य सरकार को भी चाहिए कि वो राज्य सरकार द्वारा लगाए जाने वाले टैक्स में व्यापारियों को कुछ छुट दें. वहीं इसके अलावा एक अन्य व्यापारी और सुशील कपूर ने राज्य सरकार द्वारा करायी गई इनवेस्टर समिट को बहुत सफल नहीं बताया. व्यपारियों को कहना है कि इस समिट से छोटे व्यापारियों का कोई संबध अभी तक नहीं बना है और ये समिट तभी सफल मानी जाएगी जब इस निवेश से छोटे से लेकर बड़े व्यापारी को सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
वहीं पलटन बजारा और आसपास के इलाके को विकसित करने और उच्चीकरण को लेकर लंबित योजनों पर भी व्यापारियों ने सवाल खड़े किये. वहीं बजट पर उत्तराखंड सर्राफा मंडल के अध्यक्ष सुनिल मेसन ने बताया कि बीते सालों में नोटबंदी और जीएसटी की मार के बाद अब बाजार उठने लगा है और केंद्र भी अब लागातार छोटे व्यापारियों के हित में सोच रही है. सर्राफा व्यापारियों का कहना है कि उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सरकार को चाहिए कि वो उत्तर प्रदेश सरकार की तर्ज पर उत्तराखंड में भी 10 लाख तक का बीमा व्यापारियों को दें. सर्राफा व्यापारियों का कहना है कि आज अगर किसी भी व्यापारी के साथ कुछ अनहोनी होती है तो उसका परिवार सड़क पर आ जाता है. सरकार को चाहिए कि जो व्यापारी अपने टैक्स से सरकार को सींचने का काम करता है सरकार द्वारा उसे भी कुछ सरंक्षण दिया जाना चाहिये.