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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के लिए सजने लगे बाजार, मूर्तियों को आकार देने में जुटे मूर्तिकार - Dehradun News

श्रीकृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी का पूरे भारत वर्ष में विशेष महत्‍व है. यह हिन्‍दुओं के प्रमुख त्‍योहारों में से एक है.राजधानी में भी इस त्योहार को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं. राजधानी के बाजार श्री कृष्ण की खूबसूरत मूर्तियों से सज चुके हैं.

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के लिए सजने लगे बाजार

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Published : Aug 20, 2019, 8:31 PM IST

Updated : Aug 20, 2019, 10:43 PM IST

देहरादून:आगामी 23 अगस्त को देश भर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी. ऐसे में कृष्ण जन्मोत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं. मूर्तिकार कृष्ण की खूबसूरत मूर्तियां बनाने के काम में जुटे हैं. राजधानी देहरादून के बल्लीवाला चौक के हाजी मार्केट में भी इन दिनों भगवान श्री कृष्ण की खूबसूरत मूर्तियां तैयार की जा रही हैं. इन मूर्तियों को प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) से तैयार कर अलग-अलग रंगों से रंगा जा रहा है.

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के लिए सजने लगे बाजार

श्रीकृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी का पूरे भारत वर्ष में विशेष महत्‍व है. यह हिन्‍दुओं के प्रमुख त्‍योहारों में से एक है. ऐसा माना जाता है कि सृष्टि के पालनहार श्री हरि विष्‍णु ने श्रीकृष्‍ण के रूप में आठवां अवतार लिया था. देश के सभी राज्‍य अलग-अलग तरीके से इस महापर्व को मनाते हैं. इसी कड़ी में राजधानी में भी इस त्योहार को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं. राजधानी के बाजार श्री कृष्ण की खूबसूरत मूर्तियों से सजे हुए हैं.

20 सालों से बना रहें हैं मूर्तियां

राजधानी में मूर्ति बनाने वाले ज्यादातर कारीगर राजस्थान के रहने वाले हैं जो कि त्योहारों के समय मूर्तियां बनाकर गुजर बसर करते हैं. ऐसे में कृष्ण जन्माष्टमी के त्योहार को देखते हुए सभी कारीगरों के चेहरों पर खुशी है. ईटीवी भारत से बात करते हुए मूर्तिकार राजू ने बताया कि वह पिछले 20 सालों से मूर्ति बनाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी के लिए बनाई जाने वाली मूर्तियों में काफी मेहनत और समय लगता है.

महंगाई की मार से परेशान मूर्तिकार

राजू ने बताया कि एक मूर्ति को बनाने में 2 से 3 दिन का समय लग जाता है. इसे बनाने के लिए उनके पास अलग-अलग तरह के खांचे उपलब्ध हैं. पहले खांचे की मदद से मूर्ति को आकार दिया जाता है, जिसके बाद 7-8 घंटों तक मूर्ति को धूप में रखने के बाद रंगाई का काम शुरू किया जाता है. राजू ने कहा कि आज के दौर में मूर्तिकारों पर महंगाई की मार पड़ रही है. वे मूर्ति बनाने में जितनी मेहनत और धनराशि लगाते हैं उन्हें उसका मूल भी नहीं मिल पाता है. जिसके कारण कारीगर और मूर्तिकार इस काम से बचने लगे हैं.

Last Updated : Aug 20, 2019, 10:43 PM IST

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