देहरादून:ये कहानी प्रदीप महरा की है. 19 साल का लड़का है जो उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले का रहने वाला है. फिलहाल नोएडा में मैकडॉनल्ड्स में नौकरी करता है. उसे देर रात अपनी शिफ्ट खत्म करके कमरे तक किसी भी हाल में जल्दी पहुंचना है. ताकि अपने दद्दा (बड़े भाई) के लिए खाना बना सके. इसलिए वो रात के 12 बजे पसीने से तरबतर होकर सड़क पर दौड़ लगाता है. उसकी ईजा (मां) बीमार है. बाबू (पिता) ईजा के साथ अस्पताल में हैं.
कुछ खास नहीं लगा होगा इस कहानी में...बस यही इस कहानी की खास बात है. ये कहनी कभी लिखी भी नहीं जाती अगर गाड़ी में बैठा एक शख्स इस लड़के को सड़क पर दौड़ता देख गाड़ी रोककर उसे घर छोड़ने का प्रस्ताव नहीं रखता. ये शख्स कोई और नहीं पूर्व पत्रकार व प्रसिद्ध फिल्ममेकर विनोद कापड़ी हैं.
दरअसल, रात के समय विनोद की गाड़ी नोएडा की इस सड़क पर दौड़ लगा रही थी. तभी उन्होंने सामने देखा कि एक लड़का कंधे पर बैग टांगे बहुत तेज दौड़ता नजर आया. विनोद ने सोचा कि कहीं वो किसी परेशानी में होगा. इसलिए उसे लिफ्ट देनी चाही. बार-बार लिफ्ट का ऑफर देने पर भी इस लड़के ने विनम्र भाव से मना कर दिया. अता-पता जानने पर लड़के ने बताया कि वो अल्मोड़ा का रहने वाला है. मैकडॉनल्ड्स में नौकरी करता है. उसकी उम्र 19 साल की है और नाम प्रदीप महरा है.
जब लड़के से मना करने की वजह पूछी गई तो उसने बताया कि वो सेना की भर्ती के लिये तैयारी कर रहा है, क्योंकि उसकी नौकरी का शिड्यूल ऐसा है कि वो सुबह दौड़ की प्रैक्टिस नहीं कर सकता. इसलिए शिफ्ट के बाद 10 किमी की दौड़ पूरी करता है और ऐसे ही अपने कमरे तक पहुंचता है.
जब विनोद ने प्रदीप को डिनर का प्रस्ताव दिया तो उसने वो भी ठुकरा दिया. इसलिए क्योंकि 10 किमी की दौड़ पूरी होने के बाद उसे अपने कमरे में जाना है और नाइट ड्यूटी पर गये अपने भाई के लिये खाना बनाना है. प्रदीप ने बताया कि उसकी मां बीमार है और पिता उनकी देखभाल के लिए अस्पताल में हैं.