देहरादून: थाना डालनवाला पुलिस ने फर्जी दस्तावेज बनाकर जमीनों की रजिस्ट्री कर अनेक व्यक्तियों से करोड़ों की ठगी करने वाली महिला पूजा मलिक को गाजियाबाद से गिरफ्तार किया है. पुलिस द्वारा आरोपी महिला को न्यायालय पेश किया गया. न्यायालय से उसे जेल भेज दिया गया है.
बता दें कि सरकार द्वारा सीज भूमि के सम्बन्ध में उच्चतम न्यायालय और सेबी के फर्जी कागजात तैयार करके एक गैंग करोड़ों रुपए की जमीनों को अपने नाम करके जनता को भूमि विक्रय कर धोखाधड़ी कर रहा है. पुलिस द्वारा मामले की जांच की गई तो पता चला कि जनपद देहरादून में भाऊवाला, धोरणखास, तरलाआमवाला, बडोवाला और मसूरी की सम्पत्तियों को एक कम्पनी SPK Worldcom Pvt Ltd Address 95 Sector 2 Defence colony Dehradun के डायरेक्टर पूजा मलिक और संजीव मलिक ने न्यायमूर्ति विक्रमजीत सेन (रिटायर्ड) और भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड के फर्जी हस्ताक्षरित दस्तावेजों के आधार पर उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा आदि राज्यों के लोगों को विक्रय पत्रों के माध्यम से विक्रय किया गया है.
ये भी पढ़ें: 100 करोड़ का भूमि घोटाला: राजस्व अफसरों की मिलीभगत की आशंका, आरोपी संजीव के पास हैं 18 लग्जरी गाड़ियां
इसके बाद 6 जनवरी को उच्चतम न्यायालय और सेबी के फर्जी दस्तावेज तैयार कर लगभग 100 करोड़ रुपए की कीमत की भूमि का फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह के 03 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था. वहीं महिला पूजा मालिक फरार चल रही थी. साथ ही एसएसपी के निर्देशन पर एसआईटी का गठन किया गया था.
ये भी पढ़ें: SC और सेबी के फर्जी दस्तावेज के जरिए करोड़ों की भूमि ठिकाने लगाने वाले 3 आरोपी गिरफ्तार
थाना डालनवाला प्रभारी एनके भट्ट ने बताया कि अभियुक्ता पूजा मलिक पत्नी संजीव मलिक निवासी A95 सेक्टर-2 डिफेंस कॉलोनी देहरादून काफी समय से फरार चल रही थी. महिला की गिरफ्तारी के लिए टीम का गठन किया गया था. पूजा मलिक की गिरफ्तारी के लिए टीम को गाजियाबाद, दिल्ली रवाना किया गया था. पूजा मलिक को मोदीनगर, गाजियाबाद उत्तर प्रदेश से गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश कर जेल भेजा गया है.
ये था पूरा मामला: सुप्रीम कोर्ट और सेबी (SEBI) के फर्जी दस्तावेज तैयार कर भू माफियाओं ने राजधानी में 100 करोड़ का भूमि घोटाला कर डाला. इस घोटाले में राजस्व विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है. माना जा रहा है कि यह भूमि घोटाला बिना रजिस्ट्रार जैसे कर्मियों की मिलीभगत के संभव नहीं है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक जिस डिफॉल्टर कंपनी के भूमि और संपत्तियों के खसरा नंबर रजिस्ट्री के लिए प्रतिबंधित किए गए थे उनकी रजिस्ट्री बिना सत्यापन के कैसे हो गई. जबकि तीन बार उत्तराखंड जनरल रजिस्ट्रार हेड को प्रतिबंधित सीज भूमियों के खसरा नंबर सहित लिखित आदेश पारित किए हैं.
रजिस्ट्री ऑफिस के कर्मचारियों-अधिकारियों की मिलीभगत की आशंका: वहीं, 100 करोड़ से अधिक की सरकारी और गैर-सरकारी जमीनों के रजिस्ट्री फर्जीवाड़े को लेकर उत्तराखंड बार काउंसिल के सदस्य अधिवक्ता चंद्रशेखर तिवारी का कहना है कि इसमें निचले स्तर से लेकर रजिस्ट्रार तक की मिलीभगत साफ तौर पर नजर आ रही है. जिस सीज प्रॉपर्टी का आदेश वर्ष 2016 से 2021 तक 3 बार प्रतिबंधित खसरा नंबर के रूप में जारी हो चुका है, उन प्रॉपर्टिओं का सत्यापन किए बिना कैसे उनकी रजिस्ट्री रजिस्ट्रार ऑफिस द्वारा की जा सकती है. उन्होंने कहा कि कानूनी कार्रवाई नियमानुसार जब भी किसी सीज प्रॉपर्टियों को खसरा नंबर दर्शाकर रजिस्ट्री के लिए प्रतिबंधित किया जाता है उसका सर्कुलर के अलावा आदेश भी हर रजिस्ट्रार ऑफिस से लेकर संबंधित राजस्व कर्मचारी के पास मौजूद होता है.
आरोपी के पास हैं 18 लग्जरी गाड़ी:सुप्रीम कोर्ट और SEBI के फर्जी दस्तावेज आदेश तैयार कर डिफॉल्टर PGF और PACL कंपनी की सीज प्रॉपर्टियों को ठिकाने लगाने वाले गिरोह के सरगना संजीव मलिक के पास 18 लग्जरी गाड़ी मौजूद थीं. एसटीएफ जांच के मुताबिक Mercedes-Benz से लेकर कीमती गाड़ियों के शौकीन संजीव के खिलाफ अधिकांश कार कंपनियों ने गाड़ियों की कीमतें न चुकाने की शिकायतें भी दर्ज कराई हैं.