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क्या कांग्रेस प्रत्याशी तोड़ पाएंगे निशंक का तिलिस्म, जानिए अम्बरीष कुमार का राजनीतिक सफर - haridwar loksabha seat

समाजवादी पार्टी में रहते हुए अम्बरीश कुमार के नेतृत्व में ही साल 2004 में हरिद्वार संसदीय सीट पर सपा उम्मीदवार राजेश कुमार बॉडी की जीत हुए थी. हालांकि, रामपुर तिराहे कांड का असर उत्तराखंड की राजनीति पर गहरा पड़ा और धीरे-धीरे पार्टी का सूबे में जनाधार खत्म ही होता चला गया.

क्या अम्बरीष कुमार तोड़ पाएंगे निशंक का तिलिस्म?

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Published : Mar 24, 2019, 3:23 PM IST

Updated : Apr 4, 2019, 4:52 PM IST

हरिद्वार: कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव को लेकर अपने प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी है. पार्टी ने हरिद्वार लोकसभा सीट से अम्बरीष कुमार को उम्मीदवार बनाया है. अम्बरीष कुमार काफी अनुभवी और कद्दावर नेता माने जाते हैं. वहीं, उनका सीधा मुकाबला बीजेपी के निर्वतमान सांसद निशंक से है. आइए जानते हैं कांग्रेस प्रत्याशी अम्बरीष कुमार की राजनीतिक पृष्ठभूमि के बारे में...

हरिद्वार से कांग्रेस प्रत्याशी अम्बरीष कुमार से खास बातचीत.


हरिद्वार लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी अम्बरीष कुमार उत्तराखंड की राजनीति में काफी सक्रिय हैं. राज्य गठन से पहले अम्बरीष कुमार उत्तरप्रदेश से विधायक भी रह चुके हैं. उत्तर प्रदेश की सपा सरकार में उन्हें बेस्ट विधायक का अवॉर्ड भी मिल चुका है. हालांकि, उत्तराखंड बनने के बाद अम्बरीष कोई चुनाव नहीं जीते हैं. बावजूद इसके हरिद्वार क्षेत्र में अम्बरीष कुमार का अपना मजबूत जनाधार है.

समाजवादी पार्टी में रहते हुए अम्बरीष कुमार के नेतृत्व में ही साल 2004 में हरिद्वार संसदीय सीट पर सपा उम्मीदवार राजेश कुमार बॉडी की जीत हुए थी. हालांकि, रामपुर तिराहे कांड का असर उत्तराखंड की राजनीति पर गहरा पड़ा और धीरे-धीरे पार्टी का सूबे में जनाधार खत्म ही होता चला गया. ऐसे में अम्बरीष कुमार ने समाजवादी पार्टी से अपना नाता तोड़ा और अपना ही दल बना लिया. मगर राजनीति में कुछ खास न होता देख अम्बरीष कुमार कांग्रेस में शामिल हो गए.

साल 2012 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से टिकट न मिलने के कारण उन्होंने हरिद्वार विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव मैदान में ताल ठोकी और बीजेपी उम्मीदवार मदन कौशिक को कड़ी टक्कर दी. जबकि, वोटों के मामले में दूसरे स्थान पर रहे. वहीं, साल 2017 के विधानसभा चुनाव में अम्बरीष ने एक बार फिर से कांग्रेस का दामन थाम लिया और रानीपुर विधानसभा सीट से पार्टी टिकट पर चुनाव लड़े. हालांकि, उन्हें इस चुनाव में एक बार हार का मुंह देखना पड़ा. ऐसे में लोकसभा चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने उनपर हरिद्वार संसदीय सीट से दांव खेला है. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि वो अपनी हार के सिलसिले को तोड़ पाते हैं कि नहीं.

हरिद्वार लोकसभा सीट का इतिहास
1977 में हरिद्वार लोकसभा सीट अस्तित्व में आई थी. तब देश में कांग्रेस के खिलाफ लहर चल रही थी. तब इस सीट पर भारतीय लोकदल से भगवानदास राठौड़ ने जीत दर्ज की थी. वहीं, तीन साल बाद 1980 के मध्यावति चुनाव में लोकदल के जगपाल ने इस सीट से चुनाव जीता था. साल 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव में हरिद्वार की सीट कांग्रेस के खाते में गई और सुंदर लाल इस सीट से सांसद चुने गए.

वहीं, 1987 में हुए उपचुनाव में भी कांग्रेस उम्मीदवार राम सिंह ने इस सीट से चुनाव जीता. 1989 में कांग्रेस की लहर में जगपाल सिंह इस सीट से सांसद चुने गए . वहीं, साल 1991 के चुनाव में ये सीट बीजेपी के पाले में गई और राम सिंह हरिद्वार संसदीय सीट से विजयी हुए. जबकि, 1996 से लेकर 1999 तक लगातार बीजेपी के हरपाल सिंह साथी इस सीट सांसद रहे. 2004 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के राजेंद्र कुमार बॉडी इस सीट पर चुनाव जीते. साल 2009 में हरीश रावत इस सीट से कांग्रेस सांसद रहे और साल 2014 में ये सीट बीजेपी के डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक के नाम रही.

1977 से 2004 तक ये सीट थी आरक्षित
धर्मनगरी हरिद्वार का देश और दुनिया में अपना अलग ही मुकाम है. लिहाजा देश की राजनीति में भी हरिद्वार का काफी दबदबा रहता है. साल 1977 में अस्तित्व में आई इस लोकसभा सीट पर चार बार कांग्रेस और पांच बार बीजेपी ने जीत दर्ज की है. वहीं, एक बार समाजवादी पार्टी भी इस सीट पर खाता खोल चुकी है. इस सीट पर अल्पसंख्यक और दलित मतदाता अपनी अहम भूमिका निभाते है. साल 1977 से लेकर 2004 तक यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी. वहीं, साल 2009 में हरिद्वार लोकसभा सीट को सामान्य घोषित किया गया.

Last Updated : Apr 4, 2019, 4:52 PM IST

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