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शिवभक्ति ने पुलिस जवान को बनाया भजन गायक, इंडियन आइडल में दो बार दिखा चुके हैं अपना जलवा

गोविंद की भगवान शिव में अटूट आस्था है. वे अपने बिजी शेड्यूल के बाद भी भोले की भक्ति के लिए समय निकाल ही लेते हैं.

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शिवभक्ति ने पुलिस के इस जवान को बनाया भजन गायक

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Published : Feb 21, 2020, 6:48 PM IST

Updated : Feb 21, 2020, 8:21 PM IST

देहरादून: महाशिवरात्रि के मौके पर पूरे देश में बम भोले के जयकारे गूंज रहे हैं. हर कोई भोले की भक्ति में रंगा नजर आ रहा है. आज ईटीवी भारत आपको ऐसे ही एक शख्स के बारे में बताने जा रहा है जिसके जीवन को भोले की भक्ति ने बदल दिया. ये शख्स उत्तराखंड पुलिस का एक जवान है जोकि भोले के भजन गाकर इन दिनों उत्तराखंड पुलिस ही नहीं बल्कि पूरे ही प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है.

शिवभक्ति ने पुलिस के इस जवान को बनाया भजन गायक

उत्तराखंड पुलिस के इस जवान का नाम गोविंद है. गोविंद की भगवान शिव में अटूट आस्था है. वह अपने बिजी शेड्यूल के बाद भी भोले की भक्ति के लिए समय निकाल ही लेते हैं. गोविंद अपने भजनों के माध्यम से भोले की भक्ति को ऐसा रूप देते हैं कि सुनने वाले अपनी जगह से उठने का नाम नहीं लेते. गोविंद की शिव भक्ति के भजन आज उत्तराखंड पुलिस की वेबसाइटों और सोशल मीडिया में खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं. इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी गोविंद ने खूब धमाल मचाया हुआ है.

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ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए गोविंद ने बताया कि वे 2011 बैच के पुलिस जवान हैं. उन्होंने बताया कि 7 साल पहले जब केदारनाथ गए थे तो वे वहां के व्यापारीकरण के कारण बहुत दुखी हुए. गोविंद का कहना है कि उत्तराखंड पर्यटन प्रदेश के नाम से जाना जाता है उसे तीर्थ धाम ही रहने दिया जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि केदारधाम आने के बाद ही उनके मन में ख्याल आया कि शिव आस्था को अपने लिखे भजनों के माध्यम से लोगों तक पहुंचाएं.

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अपने इसी हुनर के चलते गोविंद दो बार इंडियन आइडल में भी प्रतिभाग कर चुके हैं. बता दें कि गोविंद उत्तराखंड पुलिस में योगा टीम के प्रशिक्षक की भी भूमिका निभा रहे हैं. गोविंद रावत को उनकी प्रतिभा के कारण आज पुलिस विभाग में काफी सराहना मिलती है. जिसके कारण उनकी कई ऑडियो एल्बम को उत्तराखंड पुलिस में शामिल किया गया है. विभाग भी अपने इस प्रतिभावान गायक को बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहा है.

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पलायन को पहाड़ों का सबसे बड़ा दर्द बताते हुए गोविंद कहते हैं कि इससे उत्तराखंड की संस्कृति सबसे ज्यादा प्रभावित हुई है. उन्होंने बताया कि वे शिव भजन गाने के साथ ही अपनी मातृभाषा गढ़वाली संस्कृति के लोकगीतों से भी लोगों को जागरुक करना चाहते हैं.

Last Updated : Feb 21, 2020, 8:21 PM IST

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