देहरादून: उत्तराखंड की संस्कृति, परंपराओं और खान-पान में विविधता का समावेश है. जिसके कारण यहां की अपनी एक अलग ही पहचान है. बात अगर देवभूमि के खान पान की करें तो ये पौष्टिक और औषधीय गुणों से भरपूर है. जिसके कारण आज भी लोगों के जहन में यहां के खाने का स्वाद मौजूद है. उत्तराखंड के पौष्टिक तत्वों से भरपूर खान-पान में मोटी दालों को विशेष स्थान दिया जाता है. यहां होने वाली दालें राजमा, गहथ (कुलथ), उड़द, तोर, लोबिया, काले भट, नौरंगी (रयांस), सफेद छेमी आदि औषधीय गुणों से भरपूर हैं. जिन्हें मौसम के हिसाब से उपयोग में लाया जाता है.
पहाड़ी खाने में शरीर की जरूरत के साथ-साथ ऊर्जा और पोषण का विशेष ध्यान रखा जाता है. इसके अलावा मौसम के हिसाब से भी खान पान तय किया जाता है. ठंड के मौसम के लिए जिस किस्म के भोजन को विकसित किया जाता है, उसमें पर्याप्त कैलोरी और पौष्टिकता देने वाले व्यंजन शामिल होते हैं. ऐसे ही ठंड के समय पहाड़ों में गहथ की दाल बहुतायत में इस्तेमाल की जाती है. गहथ की दाल में भरपूर पौष्टिक तत्त्वों की भरमार होती है. जिसके कारण ये पहाड़ियों की पहली पंसद है.
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गहथ की दाल का वनस्पति नाम मेक्रोटाइलोमा यूनिफ्लोरम है. खरीफ की फसल में पैदा होने वाली गहथ दाल काले और भूरे रंग की होती है. गहथ की दाल उत्तर भारत के उत्तराखंड, हिमाचल के अलावा उत्तर पूर्व और दक्षिण भारत में भी खूब खाई जाती है. आयुर्वेद के हिसाब से गहथ में भरपूर पौष्टिक तत्त्वों की भरमार होती है. गहथ की दाल में उच्च गुणवत्ता के पौष्टिक तत्व जैसे कि प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन, फास्फोरस, कार्बोहाइड्रेट, फाइबर और कई तरह के विटामिन पाए जाते हैं. गहथ की दाल में दवाओं के गुण भी शामिल होते हैं. जिसके कारण ये कई बीमारियों का रामबाण इलाज है. यह दाल एंटी हाईपर ग्लायसेमिक गुणों से भरपूर है. इस दाल में गुर्दे की पथरी को गलाने की अद्भुत क्षमता होती है.