देहरादून: पुरानी टिहरी को जल समाधि लिए आज 15 साल पूरे हो गये हैं. इन सालों में यहां बहुत कुछ बदला है. नये स्कूल,बाजार, घंटाघर और हर वो जरूरी चीजें नई टिहरी में बनाई गई जो कि एक घरों के जंगल को शहर बनाती हैं. लेकिन आज भी यहां के लोगों के जहन में अपनी ही टिहरी की यादें बसती हैं. कहते हैं कि जब एक शहर जब डूबता है तो उसके साथ कई यादें, सपने और उम्मीदें भी डूब जाती हैं.कुछ ऐसा ही पुरानी टिहरी के साथ हुआ.
दूसरों को 'रौशनी' देने के बाद आज खुद 'अंधेरे' में टिहरी के रहवासी, सरकार से बंधी उम्मीद - उत्तराखंड न्यूज
कभी अपने इतिहास और विरासत पर नाज़ करने वाली पुरानी टिहरी आज इतिहास के पन्नों में दर्ज है.यहां कई गांवों के लोग आज भी अपने हकों की लड़ाई लड़ रहे हैं. आये दिन होने वाले धरना, प्रदर्शन और आंदोलनों ने यहां के लोगों को तोड़ कर रख दिया है
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शहर के साथ लोगों को खेत खलिहान और पुश्तैनी मकान और न जाने क्या क्या डूबा?..लोगों को उम्मीद थी कि इससे यहां विकास की रफ्तार बढ़ेगी, जीवन में सुधार होगा लेकिन आये दिन अपने हकों के लिए किये जाने वाले धरना, प्रदर्शन सारे सवालों का जवाब हैं.
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यहां कई गांवों के लोग आज भी अपने हकों की लड़ाई लड़ रहे हैं. आये दिन होने वाले धरना, प्रदर्शन और आंदोलनों ने यहां के लोगों को तोड़ कर रख दिया है. विकास के नाम पर अपना सब कुछ लुटा देने वाले यहां के रहवासी आज भी सरकार से उम्मीद लगाये बैठें हैं कि सरकारें उनकी ओर ध्यान देंगी,उनकी परेशानियां सुनेंगी. ऐसे में अब देखने वाली बात ये होगी कि आखिर कब सरकारें जागती हैं और कब यहां की जनता की उम्मीदें पूरी होती हैं.