देहरादून:उत्तराखंड की अल्मोड़ा जेल में बंद सजायाफ्ता कुख्यात बदमाशों द्वारा जेल में रहकर संचालित होने वाली आपराधिक गतिविधियों ने राज्य के पूरे जेल प्रशासन तंत्र की पोल खोल कर रख दी है. इसके साथ ही जेल में संगीन अपराधियों को कैद करने के औचित्य पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. अगर जेल से ही फिरौती, हत्या, अपहरण व धमकी जैसे संगीन अपराध जेल प्रशासन कर्मियों के गठजोड़ से चलेंगे तो फिर इन्हें जेलों में रखने की क्या जरुरत है.
अल्मोड़ा जेल में कुख्यात कलीम अहमद गिरोह ने हरिद्वार के बड़े व्यापारियों को धमकी देकर हत्या और फिरौती की पूरी पटकथा लिखी. इस मामले में अल्मोड़ा जेल के प्रभारी सहित 6 कर्मचारियों की मिलीभगत सामने आई. सभी आरोपित कर्मियों को गिरफ्तार कर निलंबित कर दिया गया है. ताजा अपडेट के मुताबिक 2 दिन पहले अल्मोड़ा जेल से इस पूरे घटनाक्रम में गिरफ्तार जेल फार्मासिस्ट और नाई को जेल आईजी पुष्पक ज्योति ने निलंबित कर दिया है.
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पहले भी सामने आ चुके कई मामले:उत्तराखंड की जेलों से इस तरह से आपराधिक गतिविधियां संचालित होने का यह पहला मामला नहीं है. इससे पहले भी सितारगंज, हरिद्वार, रुड़की, देहरादून जैसी जेलों से सजायाफ्ता अपराधी नेटवर्क चलाते रहे हैं. इन सबके बावजूद उत्तराखंड जेल विभाग के आला अधिकारी सिर्फ मुख्यालय पर बैठकर जेलों की व्यवस्था पुख्ता करने के हवा हवाई दावे करते नजर आते हैं.
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जेलों की मॉनिटरिंग सिर्फ कागजों तक: जानकारों के मुताबिक इसका सबसे बड़ा कारण यह भी है कि उत्तराखंड में जेल विभाग की जिम्मेदारी जिन आईपीएस अफसरों के अधीन रहती है, उनके पास पहले से ही कई अन्य पुलिस इकाइयों का पदभार होता है. जिससे जेलों की मॉनिटरिंग सिर्फ कागजों तक ही सीमित रहती है. यही कारण है कि राज्य की जेलों में बंद कुख्यात अपराधी जेल प्रभारी सहित कर्मचारियों की मिलीभगत से मोबाइल, इंटरनेट जैसे इलेक्ट्रॉनिक संसाधनों का प्रयोग कर असानी से गैंग चलाते हैं.
बता दें कि पिछले दिनों ईटीवी भारत ने ही राज्य के 11 जेलों में 300 से अधिक सीसीटीवी कैमरे व जेल बंदी रक्षकों पर बॉडी कैम जैसे इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस व्यवस्था की मॉनिटरिंग व्यवस्था पर सवाल उठाए थे.
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जेलों के सीसीटीवी, बॉडी कैम प्रोजेक्ट पर भी उठे सवाल:कुछ समय पहले उत्तराखंड की सभी 11 जेलों की मॉनिटरिंग को पुख्ता करने का दावा करते हुए लगभग 600 हाईटेक सीसीटीवी कैमरे और कारागार में नियुक्त बंदी रक्षकों की वर्दी में बॉडी कैमरा जैसे सर्विलांस व्यवस्थाओं लागू करने की बात सामने आयी थी. हैरानी का विषय है कि पहले चरण में ही संवेदनशील जेलों में 300 से अधिक सीसीटीवी कैमरे और बॉडी कैम जैसी व्यवस्थाओं की मॉनीटिरिंग नहीं दिखी. जिससे कई गंभीर सवाल उठ रहे हैं.