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PWD में 124 पदों को मिनिस्ट्रियल संवर्ग में शामिल कराने की मांग तेज

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Published : Aug 4, 2019, 3:11 PM IST

लोक निर्माण विभाग के 124 पदों को मिनिस्ट्रियल संवर्ग में शामिल कराने को लेकर लोकनिर्माण विभाग मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन के कर्मचारियों ने रोष व्यक्त किया है. साथ ही शासन से मामले पर कार्रवाई करने की मांग की है.

PWD में 124 पदों को मिनिस्ट्रियल संवर्ग में शामिल कराने की मांग हुई तेज.

देहरादून: कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान लोक निर्माण विभाग के 124 मिनिस्ट्री संवर्गीय पदों को त्रुटिवश शासन द्वारा निसंवर्गीय कर दिया गया था. लेकिन लंबा समय बीत जाने के बाद भी यह पद संवर्गीय नहीं हो पाए हैं. जिसे लेकर लोकनिर्माण विभाग मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन के कर्मचारियों ने रोष व्यक्त किया है. साथ ही शासन से मामले पर कार्रवाई करने की मांग की है.

PWD में 124 पदों को मिनिस्ट्रियल संवर्ग में शामिल कराने की मांग हुई तेज.

बता दें कि कांग्रेस सरकार में शासन द्वारा जारी हुए एक आदेश में लोक निर्माण विभाग के तकरीबन 124 पदों को निसंवर्गीय घोषित कर दिया गया था. जिन्हें बाद में अव्यावहारिक पाया गया और इस फैसले से सरकार की भी काफी किरकिरी हुई थी. जिसके बाद सरकार को इस पर रोलबैक करना पड़ा था. इसके बाद लोक निर्माण विभाग द्वारा इन पदों को वापिस संवर्गीय किए जाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था जिसमें मिनिस्ट्री संवर्ग के अंतर्गत खंडीय कार्यालय के 76 पद, वित्तीय कार्यालय के 38 पद और मुख्य अभियंता संवर्ग के 10 पद मौजूद हैं.

जिन्हें लेकर कर्मचारियों द्वारा लगातार किए जा रहे संघर्ष के बाद विभाग द्वारा शासन से इन पदों को वापिस संवर्गीय करने का प्रस्ताव भेजा गया था. लेकिन सरकार बदलने के बाद भी इन पदों पर शासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है. लोक निर्माण विभाग मिनिस्ट्रियल एसोसिएशन के कर्मचारियों ने मामले पर सरकार के उदासीन रुख पर विरोध जताया साथ ही शासन से मामले पर जल्द से जल्द कार्रवाई की मांग की.

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एसोसिएशन के अध्यक्ष पंचम सिंह बिष्ट ने बताया कि पिछली सरकार में किए गए इस अव्यवहारिक फैसले का कर्मचारियों विरोध कर रहे थे. जिसके बाद विभागाध्यक्ष द्वारा शासन को इन पदों को वापिस मिनिस्ट्रियल संवर्ग में शामिल करने के लिए प्रस्ताव भेजा गया लेकिन आज तक मामले पर कार्रवाई नहीं हुई है. जोकि अत्यंत दुख की बात है पंचम सिंह बिष्ट ने कहा कि सरकार इस पर जल्द कार्रवाई नहीं करेंगी तो कर्मचारी किसी अन्य रणनीति को अपनाने के लिए बाध्य होंगे.

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