देहरादून: देशभर में लोकसभा चुनावों की तैयारियां जोर शोर से चल रही हैं. उत्तराखंड में 11 अप्रैल को पहले चरण में मतदान होना है. जिसे लेकर लगभग सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. सभी राजनीतिक दल चुनाव की चुनौती और सत्ता के सिंहासन तक पहुंचने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं. अब तक हमने अपको अपनी खास पेशकश 2019 के महासंग्राम में प्रदेश की लोकसभा सीटों के साथ यहां के सियासी इतिहास और जातीय समीकरणों के बारे में बताया. साथ ही हमने आपको बताया कि राजनीतिक दलों ने कौन से चेहरों पर पर दांव खेला है. आज हम लोकसभा चुनावों के साथ ही देश के संविधान के ढांचे और देश में होने वाले चुनावों के बारे में बताएंगे. साथ ही हम आपको बताएंगे कि आपका एक वोट देश के लिए कितना जरूरी है.
जानिए क्या है एक वोट की कीमत. पढ़ेंःदिव्यांग मतदाता भी आसानी से कर सकेंगे मतदान, 'पीडब्ल्यूडी एप' से मतदान हुआ आसान सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि लोकसभा चुनाव का प्रोसेस यानि प्रक्रिया क्या है. आखिर हम वोट करते क्यों हैं? इसके लिए सबसे पहले संविधान के ढांचे को समझना जरुरी है. भारत का संविधान फेड्रल सिस्टम को फॉलो करता है. इसके अंतर्गत भारत में दो तरह की सरकारें होती हैं. केंद्र सरकार और राज्य सरकार.
केंद्र सरकार का चुनाव आम चुनावों से होता है. जिसके लिए पूरे देश की जनता वोट करती है. यहां से चुने लोग देश की संसद में बैठते हैं. जिसे लोकसभा कहते हैं. लोकसभा में 545 सांसद होते हैं, जिनमें से 543 सांसदों का चयन जनता करती है, जबकि दो एग्लो इंडियन सांसद होते हैं जिन्हें राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं.
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अब देश में होने वाले चुनावों की बात करते हैं. भारत में मुख्य रूप से तीन तरह के चुनाव होते हैं. लोकसभा, राज्य सभा और विधानसभा चुनाव. लोकसभा चुनाव हर पांच साल में होते हैं और इनका चुनाव सीधे देश की जनता करती है. इसके लिए हर राज्य में कुछ संसदीय सीटें आरक्षित या कहें फिक्स होती हैं. सीटों की संख्या राज्य की जनसंख्या पर आधारित होती है. जैसे देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में लोकसभा की सबसे ज्यादा 80 सीटें हैं. जबकि उत्तराखंड में केवल पांच सीटें हैं. वोटिंग होने के बाद जो भी दल 50 प्रतिशत से ज्यादा सीट जीतता है, देश में उसकी सरकार बनती है.
543 लोकसभा सीटों में एक पार्टी को बहुमत के लिए 272 सीटें चाहिए. 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 282 सीटें जीती थी. जीती हुई पार्टी के लीडर को देश का प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाता है. जिस भी पार्टी का लोकसभा में बहुमत होता है, उसके सांसद मिलकर देश का प्रधानमंत्री चुनते हैं.
अब बात करते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव की. इस बार पूरे देश में सात चरणों में चुनाव होना है. जिसके नतीजे 23 मई को घोषित किये जाएंगे. लोकसभा चुनाव 2019 के लिये 13 करोड़ नये मतदाता रजिस्टर हुए हैं. इस बार होने वाले लोकसभा चुनावों में मतदान प्रतिशत बढ़ाने और निष्पक्ष चुनाव करवाने के लिए चुनाव आयोग ने कई तरह की तैयारियां की हैं. जिनमें वीवपैट का इस्तेमाल, सी-विजिल एप और ब्रांड एंबेसडर बनाकर मतदान करने के लिए लोगों को जागरूक करना प्रमुख है.
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अब आपको बताते हैं कि लोकसभा चुनाव में मतदाताओं को क्या करना चाहिए और क्या नहीं. सबसे पहले मतदाता को अपना नाम वोटर लिस्ट में चढ़वाना जरूरी होता है. इसके साथ ही वोटर को अपने संसदीय क्षेत्र से खड़े होने वाले प्रत्याशी के बारे में सारी जानकारी होनी चाहिए. जैसे वे कितने पढ़े लिखे हैं, उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड तो नहीं? अब तक उन्होंने जनता के लिए कितना काम किया? क्या वो संसद में आपका प्रतिनिधित्व कर सकता है या नहीं ये वे सारे चीजें है जिन्हें एक वोटर को जरूर जानना चाहिए. सही प्रत्याशी का चयन ही संसद में आपकी आवाज को मजबूत करता है.
अक्सर हमें शिकायत रहती है कि सरकार ये काम नहीं करती, सरकार वो काम नहीं करती. लेकिन जब चुनाव और वोट देने की बारी आती है तब कई लोग मतदान केंद्रों तक जाने की जहमत तक भी नहीं उठाते. एक मजबूत लोकतंत्र के लिए मतदान बेहद जरूरी है.
भले ही हाल के दिनों में मतदान का प्रतिशत पहले की तुलना में कुछ बढ़ा है, लेकिन ये नाकाफी है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि अगर आप वोट नहीं डालते तो आपको सरकार से सवाल करने या उसे दोष देने का ‘कोई हक नहीं’ है.