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ऑपरेशन डेयर डेविल: बर्फीले पहाड़ का सीना चीर ITBP जवानों ने यूं पूरा किया था रेस्क्यू, देखें VIDEO

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Published : Jul 9, 2019, 7:29 PM IST

Updated : Jul 9, 2019, 7:48 PM IST

नंदा देवी दुनिया की 23वीं सर्वोच्च चोटी है. उत्तराखंड में इस चोटी को देवी के रूप में पूजा जाता है. हर साल सैकड़ों पर्वतारोही नंदा देवी की चोटी को फतह करने आते हैं. हमेशा से यहां का मौसम पर्वतारोहियों के लिए मुश्किलें पैदा करता रहा है.

ऑपरेशन डेयर डेविल

देहरादून:नंदा देवी पर्वत पर 26 मई को अचानक हिमस्खलन हुआ था. इस हिमस्खलन में 7 विदेशी और एक भारतीय पर्वतारोही की मौत हो गई थी. हादसा इतनी ऊंचाई पर हुआ था कि वहां सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन चलाना लगभग नामुमकिन लग रहा था. लेकिन आईटीबीपी ने ऑपरेशन डेयर डेविल को पूरा कर ये बेहद मुश्किल काम भी कर दिखाया.

गौर हो कि नंदा देवी ईस्ट में 13 मई 2019 से 12 पर्वतारोहियों ने पर्वतारोहण अभियान शुरू किया था. इस दौरान दल एवलांच की चपेट में आने से 8 लोग फंस गए. इन आठ लोगों में चार ब्रिटिश (जॉन चार्ल्स मैकलारेन, रिचर्ड पायने और रूपर्ट जेम्स व्हेवेल), दो अमेरिकी (एंथनी एडवर्ड सुडेकम और रोनाल्ड इसाक बाइमेल), एक आस्ट्रेलियाई (महिला पर्वतारोही रूथ मारग्रेट मैक केंस) और एक भारतीय नागरिक (भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन के जनसंपर्क अधिकारी चेतन पांडेय) शामिल थे.

अपने नागरिकों के शव को वापस पाने के लिए कई देशों से भारतीय विदेश मंत्रालय के पास लगातार फोन आ रहे थे. अब भारत के लिए पर्वतारोहियों के शव नंदा देवी से वापस लाना प्रतिष्ठा का सवाल बन गया था. इसी बीच भारत सरकार ने इस ऑपरेशन का जिम्मा आईटीबीपी के जवानों को सौंपा. खास बात ये थी कि आईटीबीपी नंदा देवी और आसपास के मुश्किल हालात से वाकिफ थी. केंद्र सरकार का आदेश आते ही आईटीबीपी ने 13 जून को ऑपरेशन डेयर डेविल लांच कर दिया. इस ऑपरेशन के लिए 34 बेस्ट जवानों को चुना गया, जिसमें से 18 सदस्यीय टीम ऑपरेशन को लीड कर रही थी, जबकि बाकी के जवान बेस कैंप में बैकअप के लिए थे.

खराब मौसम में चढ़ाई थी मुश्किल

पहाड़ पर चढ़ना था मुश्किल.

वीडियो में आप देख सकते हैं कि आईटीबीपी ने सबसे पहले एक रास्ता चुना. उसके बाद उस पर रस्सियां बांधी और फिर नंदा देवी पर्वत के लिए चढ़ाई शुरू कर दी. इस दौरान लगातार खराब मौसम जवानों की मुश्किलें बढ़ा रहा था. नंदा देवी पीक समिट करने के दौरान जान गंवाने वाले पर्वतारोहियों का एवलांच से ठीक पहले एक्शन कैमरा में रिकॉर्ड किया गया ये वीडियो सामने आया है. इस वीडियो को आईटीबीपी ने अपने ट्विटर हैंडल पर साझा किया है. आईटीबीपी ने वीडियो को पोस्ट करते हुए लिखा था, 'नंदा देवी पूर्व के पास अनाम शिखर के पास पर्वतारोहियों की टीम का अंतिम दृश्य. ITBP के पर्वतारोहियों की खोज टीम को 19 हजार फीट पर यह मेमोरी वीडियो डिवाइस मिला, जब वे उस इलाके की खोज कर रहे थे जहां शवों को देखा गया था.'

बर्फीले पहाड़ पर बना दिया हेलीपैड

बर्फीले पहाड़ पर बना हेलीपैड.

पर्वतारोहियों के शव को वापस लाने और जवानों की मदद के लिए एयर सपोर्ट जरूरी था. ऐसे में आईटीबीपी के 5 हिमवीरों ने 14 हजार फीट की ऊंचाई पर बर्फीले पहाड़ पर एक अस्थायी हेलीपैड बना दिया. इसी हेलीपैड की मदद से पर्वतारोहियों के शव वापस लाए गए.

बर्फ के अंदर शवों को खोजना बड़ी चुनौती

बर्फीले पहाड़ पर हुई शवों की खोज.

पर्वतरोहियों के शव बर्फ के काफी अंदर दबे थे. ऐसे में उन्होंने निकालने के लिए आईटीबीपी जवानों ने खास तकनीकी का प्रयोग किया. वीडियो में आप देख सकते हैं कैसे जवान एक लंबी राड को बर्फ के अंदर डालकर शवों की खोज कर रहा है.

भारी बर्फबारी के बीच फतह की नंदा देवी की चोटी

देखें कैसे हालत से लड़ रहे थे जवान.

आईटीबीपी द्वारा जारी वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे नंदा देवी की चोटियों पर बर्फबारी जारी थी और हमारे हिमवीर लगातार एक-एक चोटियां फतह कर आगे बढ़ रहे थे. शवों को खोजने के बाद उन्हें रास्सियों के सहारे बेस कैंप तक लाया गया.

3 जुलाई 7 पर्वतारोहियों के शव पहुंचाए गए पिथौरागढ़

500 घंटे तक चले दुनिया के सबसे खतरनाक रेक्स्यू ऑपरेशन को हिमवीरों ने पूरा कर लिया था. तीन जुलाई को 7 पर्वतारोहियों के शवों को पिथौरागढ़ हेलीकॉप्टर की मदद से पहुंचाया गया. इन सात पर्वतारोहियों में एक भारतीय गाइड भी शामिल था. वहीं, लापता आठवें पर्वतारोही का शव मॉनसून के बाद खोजा जाएगा.

Last Updated : Jul 9, 2019, 7:48 PM IST

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