श्रीनगर:अपने बड़बोलेपन के कारण कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत खुद अपने लिए मुसीबत मोल लेते रहते हैं. इस बार उन्होंने एक इंटरव्यू में तमाम ऐसी बातें बोल दीं जो एक मंत्री को नहीं बोलनी चाहिए. भाकपा माले के गढ़वाल संयोजक इंद्रेश मैखुरी ने कहा कि हरक सिंह रावत ने मंत्री पद पर रहते हुए त्रिवेंद्र से जुड़ी सरकारी फाइलों को लेकर जो बातें कही हैं, उसके आधार पर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए. उन्हें मंत्री पद से तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए.
दरअसल इन दिनों उत्तराखंड में ढैंचा बीज घोटाला छाया हुआ है. कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने इस घोटाले को लेकर बयान दिया था. हरक ने कहा था कि उन्होंने त्रिवेंद्र सिंह रावत को हरीश रावत की सरकार के दौरान जेल जाने से बचाया था. अगर वो घोटाले की फाइलों में त्रिवेंद्र को क्लीन चिट नहीं देते तो त्रिवेंद्र का जेल जाना तय था. बड़बोड़े हरक ने ये भी कहा कि उन्होंने वो फाइल किस-किस को दिखाई थी.
मंत्री हरक सिंह रावत पर मुकदमा दर्ज करने की मांग हरक सिंह रावत पर दर्ज हो मुकदमा और हों बर्खास्त: हरक सिंह रावत के इसी बयान पर भाकपा माले के गढ़वाल संयोजक इंद्रेश मैखुरी ने उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की. इंद्रेश ने कहा कि पद और गोपनीयता की शपथ तोड़ने पर हरक सिंह रावत को तत्काल मंत्रीपद से बर्खास्त किया जाना चाहिए.
क्या था ढैंचा बीज घोटाला: उत्तराखंड कृषि विभाग द्वारा 2005-06 में खरीफ की फसल का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को ढैंचा बीज वितरण की योजना बनाई गई. 2010 में ढैंचा बीज घोटाला हुआ था. इस दौरान मांग से अधिक बीज खरीदा गया. यही नहीं, बीज निर्धारित दरों से 60 फीसदी अधिक दामों में खरीदा गया. उस समय त्रिवेंद्र सिंह रावत राज्य के कृषि मंत्री थी.
हरक सिंह के पास दिखाने के लिए एक भी काम नहीं है: इंद्रेश मैखुरी से जब हरक सिंह रावत के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि- उनके पास दिखाने के लिए एक भी कार्य नहीं है. चाहे वो कांग्रेस में रहे हों. चाहे वो भाजपा में रहे हों. उनका हर कार्यकाल विवादास्पद रहा है. इस कार्यकाल में भी श्रम कल्याण कर्मकार बोर्ड में जिस प्रकार के घपले हो रहे हैं, वो सबके सामने हैं. उससे आप समझ सकते हैं कि वो किस प्रकार के मंत्री हैं.
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हरक की संपत्ति की जांच हो तो फूटेगा भंडा:अगर इस बात की जांच हो कि जब हरक सिंह पहली बार उत्तर प्रदेश में मंत्री बने थे, तब उनकी परिसंपत्तियां कितनी थीं. आज वो कितनी संपत्ति के मालिक हैं तो ज्ञात हो जायेगा कि वो किस पक्ष में खड़े रहे. वो कितना भी बेबाक दिखने की कोशिश करें. मुंहफट तरीके से बात करने की कोशिश करें, लेकिन वो अपने राजनीतिक कैलकुलेशन के आधार पर ही बात करते हैं. वो अपनी कुर्सी को बचाने की राजनीति करते हैं. वे उन लोगों में हैं जो अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं.