देहरादून:देश के अन्य पहाड़ी राज्यों की तर्ज पर उत्तराखंड सरकार भी प्रदेश में भी लगातार होमस्टे योजना को बढ़ावा दे रही है. इस योजना से न सिर्फ प्रदेश के पर्वतीय जनपदों में पर्यटकों की संख्या बढ़ी है बल्कि इससे यहां के स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिला है. होम स्टे योजना से पर्वतीय क्षेत्रों से होने वाले पलायन पर भी कुछ हद तक रोक लगी है.
होमस्टे योजना में बढ़ चढ़ कर हिस्सा ले रहे पहाड़ी जनपद. बता दें कि बीते कुछ सालों में प्रदेश के विभिन्न पहाड़ी पर्यटक स्थलों में होमस्टे काफी लोकप्रिय होता जा रहा है. विशेषकर पिथौरागढ़ के दारमा-व्यास वैली क्षेत्र के साथ ही अल्मोड़ा, उत्तरकाशी, चमोली और टिहरी जैसे पहाड़ी जनपदों के स्थानीय निवासी होमस्टे योजना से जुड़ने में काफी रुचि ले रहे हैं.
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प्रदेश में स्थापित हो रहे होमस्टे के विषय में जानकारी देते हुए उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के संयुक्त निदेशक विवेक सिंह चौहान ने बताया कि प्रदेश सरकार की ओर से पर्यटन विभाग को 5000 होमस्टे स्थापित करने का लक्ष्य दिया गया है. जिसके तहत अब तक प्रदेश के विभिन्न पहाड़ी जनपदों से लगभग 1620 होमस्टे का ऑनलाइन पंजीकरण करवाया जा चुका है.
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होम स्टे योजना से लोगों को जोड़ने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से दीनदयाल उपाध्याय होम स्टे योजना शुरू की गई है. जिसके माध्यम से प्रदेश के मूल निवासियों को राज्य सरकार की ओर से होमस्टे स्थापित करने के लिए अधिकतम 10 लाख रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. इसके साथ ही साथ इस योजना के तहत 5 साल के लिए बैंक लोन के ब्याज पर भी छूट दी जा रही है.