देहरादून: केंद्र की मोदी सरकार 2.0 का पहला बजट पेश होते ही देशभर से प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गई हैं. प्रधानमंत्री मोदी ने जहां बजट को गांव और गरीब का बताया है तो वहीं विपक्ष का कहना है कि बजट में देश के करोड़ों बेरोजगार युवकों के लिए कुछ नहीं है. उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने सोशल मीडिया के जरिये बजट पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उनका कहना है कि बजट में उत्तराखंड को कुछ नहीं मिला. वित्त मंत्री ने बेहद निराश किया.
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ट्विटर के जरिये अपनी बात रखते हुये प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने लिखा कि, 'उत्तराखंड आपसे क्या कहें, hurray Uttarakhand कहें या कुछ और कहें. आपने 5 प्लस दिये बल्कि पांच की जगह पर यदि वोट बांटकर के जिताया जा सकता, तो 10 एमपी हो सकते थे. इतने वोट दिये मगर निर्मला सीतारमण जी उत्तराखंड को बिल्कुल भूल गई. हमारे बड़े-बड़े महारथी कह रहे थे भविष्य की महान संभावनायें कह रही हैं कि ग्रीन बोनस देंगे, उत्तराखंड के रेलवे लाइन्स को नेशनल प्रोजेक्ट बनाएंगे, उत्तराखंड को विश्व के मानचित्र पर एक महान पर्यटन डेस्टिनेशन के रूप में स्थापित करेंगे तो सब कुछ मिल गया. बहुत निराश हुए सीतारमण जी के बजट को सुनकर, हां बधाई इस बात की है कि ₹1 लीटर डीजल और ₹1 लीटर पेट्रोल महंगा हो गया और तैयार रहिए अब त्रिवेंद्र सिंह रावत जी भी बसों का किराया बढ़ाएंगे.
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देश की पहली पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री के तौर बजट पेश करने वाली निर्मला सीतारमण ने अपने बजट में नारी को नारायणी बनाने पर जोर दिया था. उनके इसी बयान पर तंज कसते हुये हरीश रावत ने कहा कि, 'आप नारी को नारायणी बनाना चाहती हो, लगता है आपके इस बजट में कोई ठोस महिलाओं के लिए देने को नहीं है. इसलिए आप नारी से नारायणी की बात कर रहे हैं. आप दुर्गा के महान भावनात्मक पद पर आसीन नारी को जो शक्ति स्वरूपा है तो उसको आप केवल नर की पूरक नारायणी बना करके रखना चाहती हो.'
हरीश रावत ने सवाल उठाते हुये कहा कि बजट में प्राइमरी और माध्यमिक स्कूलों की जगह कहां है? इनके बारे में क्यों नहीं सोचा गया. भारतीय शिक्षा की नींव इन बुनियादी संस्थानों से धीरे-धीरे नीचे जा रही है. प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया. न ही इसकी बुनियादी सुविधाओं और अन्य क्षमताओं को बढ़ाया गया है.
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वहीं श्रम कानून में बदलाव को लेकर रावत ने कहा कि अब 44 के करीब श्रम कानूनों के स्थान पर केवल चार कानून अस्तित्व में रहेंगे. इसके लिये देश के पूंजीपति पिछले 15 वर्षों से दबाव डाल रहे थे. ये कानून श्रमिकों के लंबे संघर्ष के प्रतीक हैं और प्रधानमंत्री अंबानी, अदानी जैसे पूजीपतियों के संकेत पर 44 कानूनों को 4 कानूनों में बदलना चाहते हैं. ये पहला तोहफा है जो मोदी सरकार ने मजदूरों और श्रमिकों को दिया है.
गौर हो कि शुक्रवार (5 जुलाई) को देश की पहली महिला वित्त मंत्री ने दो घंटे 10 मिनट लंबा भाषण पढ़ा और सबसे लंबे बजट भाषण देने वाले वित्त मंत्रियों में शामिल हो गयीं.